G20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक दिल्ली में शुरू हो गई है। इसमें US, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस समेत दुनिया की 20 बड़ी इकोनॉमीज के प्रतिनिधि शामिल हुए हैं। मीटिंग के इनॉगरल सेशन में PM मोदी ने कहा- कई साल की प्रगति के बाद आज हमारे सामने रिस्क है कि कहीं हम सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स में पीछे की तरफ न चले जाएं।
प्रधानमंत्री ने कहा- कई विकासशील देश इस समय फूड और एनर्जी सिक्योरिटी के लिए ऐसे कर्ज तले दबे हैं, जिन्हें वे संभाल नहीं पा रहे। अमीर देशों ने जो ग्लोबल वॉर्मिंग की है, उससे सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब देश ही हैं। इसी के चलते भारत ने G20 प्रेसिडेंसी के तहत ग्लोबल साउथ की आवाज बनने की कोशिश की है।
मोदी ने कहा- ग्लोबल गवर्नेंस फेल हुई
हम ऐसे समय में मिल रहे हैं जब दुनिया में गहरे विभाजन हो चुके हैं। पिछले कुछ साल में हमने आर्थिक संकट, जलवायु परिवर्तन, महामारी, आतंकवाद और युद्ध देखे हैं। इससे साफ हो गया है कि ग्लोबल गवर्नेंस फेल हो चुकी है। दुनिया के अहम मुद्दों को संभालने के लिए बनी संस्थाएं सबसे बड़ी चुनौतियों को पूरा करने में फेल हुई हैं।
जयशंकर बोले- एकमत न हों, तो भी मिलकर काम करें
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा- G20 देशों पर असाधारण जिम्मेदारी है। हम पहली बार वैश्विक संकट के बीच एक साथ आए थे और आज एक बार फिर कई संकटों का सामना कर रहे हैं, जैसे- कोरोना महामारी, रूस-यूक्रेन जंग, क्लाइमेट चेंज। जरूरी नहीं की इन मुद्दों पर हम एकमत हों लेकिन हमें साथ मिलकर हल निकालना होगा।
मीटिंग में हो सकती है रूस-यूक्रेन पर चर्चा
करीब पांच महीने बाद रूस और अमेरिका के अलावा चीन के फॉरेन मिनिस्टर्स एक ही प्लेटफॉर्म पर मौजूद हैं। वैसे तो सेशन बुधवार को शुरू हुआ, लेकिन अहम चर्चा आज हो रही है।
मीटिंग से एक दिन पहले भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने उसी बात को दोहराया जो कुछ महीने पहले ग्लोबल हेडलाइन बनी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने तब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से कहा था- यह वक्त जंग का नहीं, बातचीत का है।
माना जा रहा है कि मीटिंग के दौरान या उसके अलग भारत के विदेश मंत्री जयशंकर रूस-यूक्रेन जंग को रोकने के लिए संबंधित पक्षों से बातचीत करेंगे। अब तक कम से कम तीन मौके ऐसे आए, जब अमेरिका ने ओपन फोरम से कहा कि भारत को जंग रोकने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करना चाहिए।