WHO ने सावधान किया है कि दुनिया भर में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं. बीते 28 दिनों में यानी 20 नवंबर से 17 दिसंबर के बीच दुनिया भर में साढ़े आठ लाख केस रिपोर्ट हुए हैं. जो पिछले महीने के मुकाबले में दोगुने हैं. इस दौरान कोरोना संक्रमित 3000 मरीजों की मौत भी हुई है. 13 नवंबर से 10 दिसंबर के हफ्ते में 1 लाख 18 हजार लोगों को कोविड की वजह से अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आई. इनमें से 1600 लोगों को आईसीयू में एडमिट होना पड़ा. पिछले महीनों की तुलना में 23 प्रतिशत ज्यादा लोग अस्पताल में पहुंचे हैं और 51 प्रतिशत ज्यादा लोगों को आईसीयू तक जाना पड़ा. ये हालात तब हैं जब केवल 36 देश ऐसे हैं जो रेगुलर डाटा अपडेट कर रहे हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेताया
नवंबर के महीने में JN.1 वेरिएंट के केवल 3 प्रतिशत केस थे. ये दिसंबर आते-आते 27 प्रतिशत तक बढ़ गए. 18 दिसंबर को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने JN.1 को अलग से वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट माना क्योंकि इस वेरिएंट की वजह से तेजी से मामले बढ़ते हुए माने जा रहे हैं. JN.1 दरअसल ओमिक्रान वेरिएंट का ही सब वेरिएंट BA.2.86 का एक म्यूटेशन है. WHO के मुताबिक अभी तक दुनिया में सबसे ज्यादा मरीजों को कोरोना के वेरिएंट आफ इंटरेस्ट EG.5 ने अपना शिकार बनाया है. लेकिन अब JN.1 मजबूत होता जा रहा है और EG.5 के मामले काफी कम हो गए हैं.
5 वेरिएंट आफ इंटरेस्ट
XBB.1.5
XBB.1.16
EG.5
BA.2.86
JN.1
इन देशों में कोरोना का कहर
पूरी दुनिया से जो केस रिपोर्ट हो रहे हैं, उनमें सबसे ज्यादा रशियन फेडरेशन से हो रहे हैं. यहां से 2 लाख 79 हजार केस रिपोर्ट हुए हैं. दूसरे नंबर पर सिंगापुर है जहां से 1 लाख 20 हजार केस रिपोर्ट हुए हैं. तीसरे नंबर पर इटली है जहां से 1 लाख 14 हजार कोरोना मरीज रिपोर्ट हुए हैं. भारत का नंबर फिलहाल 26 है. भारत से एक महीने में लगभग साढे तीन हजार केस रिपोर्ट हो चुके हैं.
भारतीय कितने तैयार?
एम्स गोरखपुर में की गई एक स्टडी के मुताबिक JN.1 के खिलाफ भी भारतीयों में पर्याप्त एंटीबॉडी मौजूद हैं. भारतीयों की इम्युनिटी इस इंफेक्शन से लड़ने में काम आएगी. एम्स गोरखपुर एम्स दिल्ली के साथ मिलकर नए कोरोना वेरिएंट पर स्टडी कर रहा है. एम्स में कोरोना की पहली लहर से 5 शहरों के 2-2 हजार लोगों पर लगातार रिसर्च चल रही है. समय-समय पर इनकी एंटीबॉडी जांच की जाती है. तीन साल से चल रही इस जांच में सामने आया है कि 93 प्रतिशत भारतीयों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी मौजूद हैं. तीसरी लहर के बाद की गई जांच में एंटीबॉडी पर्याप्त मात्रा में मिली हैं.