कई ब्रैंड ने पानी की गुणवत्ता, हानिकारक तत्व, भारी धातु, मिथाइल अल्कोहल और माइक्रोबायोलॉजिकल परीक्षण रिपोर्ट को पेश नहीं किया गया था।
दिल्ली सरकार को वित्तीय नुकसान पहुंचाने के साथ शराब की गुणवत्ता पर भी सीएजी रिपोर्ट में सवाल उठाए गए हैं। 166 पन्नों की रिपोर्ट में पेज नंबर 47 से 55 तक में दर्ज है कि शराब की गुणवत्ता बेहद खराब रही। बगैर सही जांच और सर्टिफिकेट दिए ही दिल्ली में शराब की बिक्री की गई। शराब की गुणवत्ता की जांच रिपोर्ट में लाइसेंस लेने के दौरान बीआईएस मानकों का पालन नहीं किया गया। वहीं, आबकारी विभाग ने सही तरह से सत्यापन नहीं किया और दिल्ली में आपूर्ति की गई शराब की गुणवत्ता चिंता उत्पन्न करता है।
सेहत से हुआ समझौता
सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि शराब के शौकीन दिल्लीवालों की सेहत से भी समझौता किया गया। उस दौरान शराब की गुणवत्ता की जांच में कई खामियां मिली हैं। सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) एक्ट में एल्कोहल को खाद्य सामग्री का दर्जा दिया गया है। शराब की टेस्टिंग के लिए अलग भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) स्टैंडर्ड तय है। शराब की गुणवत्ता सुनिश्चित करना आबकारी विभाग की जिम्मेदारी है
रिपोर्ट में उजागर हुई कई खामियां
कई ब्रैंड ने पानी की गुणवत्ता, हानिकारक तत्व, भारी धातु, मिथाइल अल्कोहल और माइक्रोबायोलॉजिकल परीक्षण रिपोर्ट को पेश नहीं किया गया था। एफएसएसएआई ऐक्ट के तहत आवश्यक है। ऑडिट के दौरान रिपोर्ट्स में कई खामियां पाईं गईं। विदेशी शराब से संबंधित 51 फीसदी परीक्षण में रिपोर्ट एक साल से अधिक पुरानी थी। परीक्षण रिपोर्ट तक उपलब्ध नहीं था। सही सत्यापन नहीं करना दिल्ली में आपूर्ति की गई शराब की गुणवत्ता को लेकर चिंता उत्पन्न करता है।