24 जून को रूस ने अपनी ही प्राइवेट मिलिट्री वैगनर पर तख्तापलट की कोशिश करने के आरोप लगाए। इसके बाद मॉस्को को हाई अलर्ट पर रखा गया है और वहां तक पहुंचने वाले M-4 मोटर वे को ब्लॉक कर दिया गया है। रूस की सिक्योरिटी सर्विस FSB ने बताया है कि प्राइवेट आर्मी के माालिक येवगेनी प्रिगोजिन पर रूस के खिलाफ विद्रोह का मामला दर्ज कर लिया गया है।
ये वही प्रिगोजिन हैं जिन्हें पुतिन का रसोइया कहा जाता रहा है और जिन्होंने जंग में यूक्रेन के कई इलाकों को जीतने में रूसी सेना की मदद की थी। हालांकि काफी समय से येवगेनी और रूसी सेना के बीच मनमुटाव की जानकारियां मिल रही थीं। इसके बाद शनिवार को सामने आई तस्वीरों में रोस्तोव शहर में बख्तरबंद गाड़ियां दिखाई दे रही हैं, जहां वैगनर ने अपने कब्जे का दावा किया है।
रूस में ये हालात कैसे बने, रूस को प्राइवेट आर्मी के इस्तेमाल से क्या फायदा हुआ, पहले कब-कब प्राइवेट आर्मी का इस्तेमाल हुआ है, सारी डिटेल सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं…
13 जनवरी 2023 को लगातार जंग में पीछे धकेले जा रहे रूस ने दावा किया था कि उसने यूक्रेन के सोलेडार इलाके पर कब्जा कर लिया है। ये कब्जा रूस की सेना नहीं बल्कि प्राइवेट मिलिट्री के लड़ाकों ने किया था। यही वो पल था जब यूक्रेन जंग में रूसी सेना को पीछे कर वैगनर ने लीड करना शुरू किया।
येवगेनी और रूस के विवाद की टाइमलाइन
जनवरी 2023- प्रिगोजिन ने सोलेडार को जीतने का पूरा क्रेडिट लिया था। उन्होंने रूस की डिफेंस मिनिस्ट्री पर आरोप लगाया था कि वो सोलेडार की जीत को उनसे छीनने की कोशिश कर रहे हैं।
फरवरी 2023- प्रिगोजिन ने रूस के डिफेंस मिनिस्टर सर्गेई शोइगू पर आरोप लगाए कि वो उनके लड़ाकों के लिए हथियार नहीं भेज रहे हैं, इसके जरिए वो वैगनर को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।
5 मई 2023- येवगेनी प्रिगोजिन ने रूस को धमकी दी थी कि अगर उन्हें और हथियार नहीं मिले तो वो बाखमुत से अपने लड़ाकों को बाहर निकाल लेंगे। एक वीडियो पोस्ट कर उन्होंने कहा था- हथियार नहीं होने की वजह से मेरे हजारों लड़ाके मारे जा रहे हैं। ये जानकारी देते हुए वो शवों के बीच खड़े थे।
24 मई 2023- येवगेनी प्रिगोजिन ने रूस के डिफेंस मिनिस्टर सर्गेई शोइगू के बारे में कहा था कि उनमें जंग जीतने की क्षमता नहीं है।
5 जून 2023- प्रिगोजिन ने दावा किया था कि बाखमुत जीतने के बाद वहां से निकल रहे उनके लड़ाकों को मारने के लिए रूस की डिफेंस मिनिस्ट्री ने साजिश रची है। रास्ते में माइन्स बिछाई गई हैं।
11 जून 2023- रूस के रक्षा मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया, जिसके तहत जंग लड़ रहे सभी प्राइवेट लड़ाकों की टुकड़ियों को रूसी सेना में शामिल होने के आदेश दिए गए थे। वैगनर के मालिक प्रिगोजिन ने कहा था- हम रक्षा मंत्रालय के साथ ऐसा कोई समझौता नहीं करेंगे।
23 जून 2023- प्रिगोजिन ने रूसी सेना पर वैगनर के लड़ाकों के ट्रेनिंग कैंप पर अटैक करने के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि इस हमले का बदला लिया जाएगा। इसके ठीक अगले दिन यानी 24 जून को खबर आई कि वैगनर ने रूसी सीमा में दाखिल होकर रोस्तोव के मिलिट्री हेडक्वार्टर पर कब्जा कर लिया है।
यूक्रेन जंग में प्राइवेट आर्मी के 50 हजार लड़ाकों ने संभाला था मोर्चा
ब्रिटेन की डिफेंस मिनिस्ट्री के मुताबिक रूस की प्राइवेट मिलिट्री वैगनर ग्रुप के करीब 50 हजार लड़ाके यूक्रेन जंग में लड़ रहे थे। वहीं, व्हाइट हाउस की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अब तक जंग में वैगनर ग्रुप के 30 हजार लड़ाकों की जान गई है। इन आंकड़ों से समझा जा सकता है यूक्रेन जंग में रूस की तरफ से प्राइवेट आर्मी वैगनर ने किस हद तक रूस के लिए मोर्चा संभाला हुआ था।
हार रही रूसी सेना के लिए 5 महीने में जीते 2 शहर
- 13 जनवरी 2023 को रूस ने दावा किया था कि उसने यूक्रेन के सोलेडार इलाके पर कब्जा कर लिया है। कई महीनों से लगातार यूक्रेन की तरफ से खदेड़े जा रहे रूस के लिए सोलेडार की जीत काफी अहम मानी गई थी।
- जेलेंस्की ने दावा किया था सोलेडार जीतने के लिए रूस अपने सैनिकों को मौत के कुएं में झोंक रहा है। टेलीग्राफ के मुताबिक, सोलेडार में जो काम पुतिन की सेना नहीं कर पाई वो येवगेनी के वैगनर ग्रुप ने कर दिखाया था।
- वैगनर ने 20 मई को यूक्रेन का बाखमुत शहर जीत लेने का दावा किया था। इसके बाद अमेरिका की इंटेलिजेंस एजेंसी ने बताया था कि जंग में अब तक रूस के एक लाख से ज्यादा सैनिक मारे जा चुके हैं। मरने वालों में आधे से ज्यादा प्राइवेट आर्मी के लड़ाके हैं।
- जर्मनी की फॉरेन इंटेलिजेंस सर्विस ने अप्रैल 2022 में बताया था कि यूक्रेन के बूचा शहर पर कब्जा करने और वहां कत्लेआम मचाने के पीछे रूस की प्राइवेट मिलिट्री वैगनर के लड़ाके ही थे। पूरी स्ट्रैटजी के तहत इन लड़ाकों ने बूचा में इस तरह की घटना को अंजाम देकर यूक्रेन के लोगों के मन में डर पैदा कर दिया था। ऐसा इसलिए ताकि लोगों को डराकर उनकी रूस के खिलाफ लड़ने की हिम्मत को कुचला जा सके।
अब जानते हैं कि आखिर ये प्राइवेट आर्मी होती क्या है?
इस सब्जेक्ट पर रिसर्च करने वाली JNU की अनुराधा ओइनम के मुताबिक, प्राइवेट आर्मी किसी सरकारी सिस्टम का हिस्सा नहीं होती है। दूसरी निजी कंपनियों की तरह इनका मकसद सुरक्षा देकर या जंग लड़कर लाभ कमाना होता है।
478 ईस्वी में रोमन सम्राज्य के दौरान बुचलरी नाम की प्राइवेट आर्मी हुआ करती थी। इन पर उस समय के जमींदार का कब्जा हुआ करता था।
प्राइवेट आर्मी को किराए की आर्मी भी कहते हैं। इस वक्त कई देशों की सरकार अलग-अलग उद्धेश्यों के लिए किराए की सेना का इस्तेमाल कर रही हैं।