नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 2 ट्रेनों की देरी, प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर यात्रियों की भीड़ और एक विशेष ट्रेन की घोषणा… आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इन कारणों के साथ-साथ रेल प्रशासन द्वारा प्रबंधन की कथित कमी के कारण शनिवार (15 फरवरी) को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मच गई. इसके बाद इस घटना में 4 बच्चों समेत 18 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए.
NDLS पर 9.30 से 10.15 बजे के बीच हादसा
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन (New Delhi Railway Station Stampede) पर यह घटना रात 9.30 बजे से 10.15 बजे के बीच प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर हुई, जहां कई लोग फुट ओवरब्रिज, सीढ़ियों और एस्केलेटर पर फंस गए थे, दिल्ली फायर सर्विस (DFS) को भगदड़ की पहली सूचना रात 9.55 बजे मिली थी.
प्लेटफार्म पर बढ़ गई थी यात्रियों की संख्या
पुलिस उपायुक्त (रेलवे) केपीएस मल्होत्रा ने बताया, ‘वीकेंड होने के कारण रात 9 से 10 बजे के बीच कई यात्री महाकुंभ के लिए प्रयागराज जाने वाली ट्रेनों में चढ़ने की कोशिश कर रहे थे. इसी दौरान दो ट्रेनें स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस और दिल्ली-भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस भी देरी से चल रही थीं, जिसके कारण प्लेटफॉर्म 12, 13 और 14 पर यात्रियों की संख्या बढ़ गई थी. वाणिज्यिक सह टिकट निरीक्षक के अनुसार, हर घंटे करीब 1500 जनरल टिकट भी बेचे गए.
2 ट्रेनों की देरी के बाद रेलवे का 1 अनाउंसमेंट और फिर…
पुलिस सूत्रों के अनुसार, कई यात्री नई दिल्ली स्टेशन पर प्रयागराज एक्सप्रेस का इंतजार कर रहे थे, जो रात 10.10 बजे प्लेटफॉर्म नंबर 14 से रवाना होती है और रोजाना चलती है. इसी समय, प्रयागराज के लिए एक विशेष ट्रेन के लिए लगभग 9.50 बजे घोषणा की गई, जो प्लेटफॉर्म नंबर 16 से रवाना होनी थी. इसके बाद कुछ यात्री जो प्रयागराज एक्सप्रेस और मगध एक्सप्रेस (जो नई दिल्ली से रात 9.05 बजे रवाना होती है) में प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर नहीं चढ़ सके थे, प्लेटफॉर्म नंबर 16 की ओर भागने की कोशिश की. एस्केलेटर और फुट ओवरब्रिज पहले से ही प्लेटफॉर्म 14 और 15 की ओर आने वाले लोगों से भरे हुए थे. इसके बाद अफरातफरी मच गई. सूत्रों ने बताया कि ऐसा संदेह है कि भगदड़ रात 9.30 से 10.15 बजे के बीच सीढ़ियों और एस्केलेटर के एक ही हिस्से पर हुई.
भीड़ कंट्रोल करने के लिए प्रशासन ने कुछ नहीं किया?
प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कुछ नहीं किया गया. कई यात्रियों ने कहा कि रात 9 बजे से भीड़ बढ़नी शुरू हो गई थी और जीआरपी (सरकारी रेलवे पुलिस) और रेलवे को इसकी जानकारी थी, लेकिन समय रहते कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई. अपने 11 अन्य परिवार के सदस्यों के साथ प्रयागराज जा रहे एक यात्री संजय ने कहा कि उन्हें रात 10.10 बजे प्रयागराज एक्सप्रेस में सवार होना था. इस अफरातफरी में मरने वालों में उनकी बहन भी शामिल थी. उन्होंने कहा, ‘मुझे अपनी बहन आधे घंटे बाद मिली. फिर हमने उसे सीपीआर देने की कोशिश की और कई बार उसकी छाती को दबाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.’