22 दिसंबर यानी बीते गुरुवार को इंडो-इस्लामिक हैरिटेज सेंटर ने एक रिपोर्ट जारी की। इसमें दावा किया गया है कि दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देश इंडोनेशिया में भारतीयों ने ही इस्लाम फैलाया है। कभी इस देश में हिंदुओं की आबादी ज्यादा थी, लेकिन अब यहां 87% मुस्लिमों की आबादी है।
आज भास्कर एक्सप्लेनर में इस रिपोर्ट के जरिए जानते हैं कि कैसे इंडोनेशिया में भारतीयों ने इस्लाम धर्म फैलाया? रिपोर्ट में इस दावे के पीछे क्या साक्ष्य बताए गए हैं?
इंडो-इस्लामिक हैरिटेज सेंटर की रिपोर्ट में किन बातों का जिक्र है…
रिपोर्ट में इतिहासकारों और इस्लामिक स्कॉलर के जरिए बताया गया है कि भले ही अरब देश से दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में इस्लाम धर्म पहुंचा हो, लेकिन इंडोनेशिया में इस्लाम धर्म भारतीयों ने ही फैलाया है। यही वजह है कि इंडोनेशियाई मुस्लिमों और भारतीय मुस्लिमों के अपने धर्म से जुड़े तौर तरीके एक जैसे हैं।
इस दावे को मजबूती तब मिली, जब रिसर्च के दौरान जावा और सुमात्रा नाम की जगह पर सुल्तान मलिक अल-सालेह के मकबरों का डिजाइन गुजरात में पाए जाने वाले मकबरों जैसा ही मिला।
इसके अलावा इस्लाम धर्म पर रिसर्च करने वाले एक फेमस डच स्कॉलर स्नूक हुरग्रोन्जे ने भी बताया है कि गुजराती मुस्लिमों की कई प्रथाएं इंडोनेशियाई मुसलमानों के समान हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि सुमात्रा क्षेत्र में पहुंचने वाले सबसे पहले मुस्लिम गुजरात और मालाबार से थे। यही नहीं 1267 में गुजरात के कैम्बे क्षेत्र के रहने वाले एक मौलवी ने इंडोनेशिया में पहली बार एक मुस्लिम राज्य स्थापित किया था।
सूफी मिशन के जरिए इंडोनेशिया में मुस्लिम धर्म तेजी से फैला
रिपोर्ट के मुताबिक करीब 750 साल पहले भारत के गुजरात और बंगाल से सूफी मिशनरी के लोग इंडोनेशिया गए थे। वे यहां सूफी संत या नेता के तौर पर यहां खुद को स्थापित करने में कामयाब हो गए। इसके बाद इन्होंने इंडोनेशिया के कस्बों में जाकर इस्लाम धर्म का प्रचार करना शुरू कर दिया।
इस वक्त भारत के पश्चिमी तटों यानी गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा जैसे राज्यों के व्यापारी जावा और सुमात्रा जाकर व्यापार करते थे। इसी दौरान यहां रहने वाले व्यापारी, अमीर और शासक वर्ग भी उनके प्रभाव में आकर इस्लाम को मानने लगा। धीरे-धीरे यहां मुस्लिम आबादी बढ़ती गई।
सूफी-हिंदुओं की मान्यता में समानता से इस्लाम फैलने में मिली मदद
रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि भारत में हिंदू और सूफियों की मान्यता काफी हद तक एक जैसी थी। सूफीवाद इस्लाम धर्म का एक पंथ है, जिसमें समानता पर बल दिया जाता था। इसके बाद हिंदुओं का सूफी संतों के खानकाहों या पूजा स्थलों पर आना-जाना बढ़ गया। इसी वजह से यहां के कल्चर रहन-सहन और मान्यताएं सूफी संतों के जरिए इंडोनेशिया पहुंची।
जैसे हिंदुओं में भक्ति आंदोलन चला था, ठीक उसी तरह मुस्लिमों में सूफी आंदोलन ने भी मुस्लिमों में समाज सुधार का कार्य शुरू किया। शराब, वेश्यावृत्ति जैसी बुराईयों का सूफी संतों ने विरोध किया।
इसी वजह से इंडोनेशिया में इन्हें काफी लोकप्रियता मिली, फिर यहां लोग मुस्लिम धर्म को अपनाने लगे।
अजीत डोभाल ने भी कहा- इंडोनेशिया में भारत ने ही फैलाया इस्लाम
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने नई दिल्ली में इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के एक कार्यक्रम में कहा था कि इंडोनेशिया में इस्लाम धर्म वर्तमान के केरल और गुजरात के व्यापारियों ने फैलाया था। इसके अलावा बंगाल और कश्मीर के सूफियों ने भी यहां इस्लाम धर्म को बढ़ावा दिया था।
उन्होंने कहा कि इसी वजह से इंडोनेशिया में एक शांतिपूर्ण और समान संस्कृति का विकास हुआ। जहां न केवल इस्लामिक धर्म फैला बल्कि पुरानी परंपराओं और स्थानीय रीति-रिवाजों ने धार्मिक प्रथाओं को बहुत प्रभावित किया।