छपरा (सारण) शराब कांड में 78 लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार 10वीं फेल राजेश सिंह पुलिस की गिरफ्त में है। लोग उसे डॉक्टर कहकर बुलाते हैं। हालांकि न तो उसने कभी डॉक्टरी की और न ही कभी किसी का इलाज किया। जिन्होंने अपनों की जान गंवाई, उनके परिजन शराब बनाने और सप्लाई करने वाले से नाराज हैं।
शराब कांड के सरगना की कुंडली निकालने के लिए दैनिक भास्कर टीम उसके पैतृक गांव और ससुराल पहुंची। पत्नी, पिता और दोस्तों से बात की, और जाना कि यह शराब माफिया बना कैसे…
मास्टरमाइंड राजेश सिंह सारण के जलालपुर थाने के नूननगर काही गांव का है। वह होम्योपैथी की दवा में इस्तेमाल होने वाले स्प्रिट से देसी शराब का धंधा करता था। पुलिस के अनुसार 13 और 14 दिसंबर को इसी की बनाई शराब पीने से लोगों की मौत हो गई थी। मैट्रिक फेल राजेश सिंह कभी मजदूरी कर जीवन यापन करता था। नौकरी की तलाश में शहर दर शहर भटका। पिता के साथ आटा चक्की में काम किया।
छपरा से लगभग 18 किलोमीटर दूर है नूननगर काही गांव। गांव में एंटर करते ही राजेश का पैतृक घर है। मकान का अगला हिस्सा अभी भी मिट्टी का है। पुरानी दीवारों से होते हुए एक रास्ता अंदर जाता है। अंदर दो मंजिला पक्का मकान है, इसमें न खिड़की है न दरवाजा। ठंड से बचने के लिए बोरे का पर्दा लगाया गया है।
पिता अभी भी आटा चक्की चलाते हैं
मकान के ठीक पीछे आटे की चक्की है। पिता अशोक प्रसाद कहते हैं- 50 साल से इसी चक्की को चला कर अपने परिवार को पाल रहे हैं। शादी से पहले राजेश भी इसी चक्की में काम किया करता था। पहले दिल्ली, फिर मुंबई कमाने चला गया। वहां भी उसने अलग-अलग फैक्ट्रियों में काम किया। 2010 में उसकी शादी हो गई। इसके बाद वो कभी बाहर नहीं गया। 5-6 साल पहले उसने जलालपुर बाजार में मोबाइल की दुकान खोली थी।
शादी के बाद उसकी परिवार के साथ अनबन शुरू हो गई थी। पैसे को लेकर अक्सर लड़ाई हुआ करती थी। इसलिए पत्नी और बच्चों के साथ परिवार से अलग हो गया। पिता कहते हैं- इसके बाद वो क्या धंधा करता है, क्या कमाता था, इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है। न ही उन्हें इन सब से कोई मतलब है। वो अपनी पत्नी, बच्चों के साथ अपने ससुराल में ही रहता है। उसकी गिरफ्तारी भी वहीं से हुई है।
गांव की गरीबी के बाद अब ससुराल के ठाठ देखिए
नूननगर से करीब 8 किलोमीटर दूर है हाथिसार गौरा। गांव के सबसे आखिरी छोर पर है राजेश का ससुराल। लगभग तीन कट्ठे में बना आलीशान एक मंजिला मकान। रंग-बिरंगी लाइट्स। दूर से ही चमकती महंगी टाइल्स। खिड़कियों में लगी ग्रिल। छत पर स्टील की रेलिंग। गांव के कोइरी मोहल्ले में इस तरह का यह इकलौता मकान है।
पिता से नाराजगी के बाद एडवांस तरीके से बनाए गए तीन कमरों के इसी मकान में राजेश अपनी पत्नी और परिवार के साथ रह रहा था। गांव के लोगों ने बताया- इसे बनाने में पूरा पैसा राजेश ने दिया है। हालांकि उसकी पत्नी इससे इनकार करती है। ग्रामीणों के अनुसार पिछले 5 सालों में राजेश का लिविंग स्टैंडर्ड पूरी तरह बदल गया था।
जिस आटा चक्की से इसका घर मुश्किल से चल रहा था। वहां पहले इसने मोबाइल की दुकान खोली। फिर आइसक्रीम फैक्ट्री खोली। वाटर प्लांट भी लगाया। जमीन खरीदने लगा और स्कॉर्पियो जैसी लग्जरी गाड़ियों में घूमने लगा।
पत्नी से कहता था- तुम बस खाने से मतलब रखो
यहां उसकी पत्नी शोभा देवी ने हमें बताया- पति शराब के धंधे से कब से जुड़े, इसकी कोई जानकारी नहीं है। मुझे बस इतना पता है कि वो मोबाइल दुकान चलाते हैं। एक- दो बार पैसे के बारे में पूछा तो ये कहते हुए झिड़क दिया कि तुम बस खाने से मतलब रखो। क्या करते हैं और कहां से पैसा आता है इसकी चिंता करने की तुम्हें जरूरत नहीं है।
डॉक्टर के पास काम कर जाना स्प्रिट का इस्तेमाल
पुलिसिया पूछताछ में राजेश ने बताया कि वह हरियाणा में होम्योपैथी के डॉक्टर के पास ड्रेसर का काम किया करता था। यहीं उसे स्प्रिट के इस्तेमाल और शराब बनने की जानकारी हुई। उसके बाद वो बिहार आकर शराब बनाने के धंधे में उतर गया। हालांकि उसके पिता का दावा है कि राजेश ने कभी किसी डॉक्टर के पास काम नहीं किया। उसे मेडिकल की कोई जानकारी नहीं है। उसके पिता यहां तक दावा कर रहे हैं कि वह हरियाणा भी कभी नहीं गया है।
पिता कहते हैं कि वो शराब के धंधे में कब और कैसे उतरा, इसकी उन्हें और उनके परिवार में किसी को कोई जानकारी नहीं है। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि मूर्ति चोरी के आरोप में वो साल 2015 में डेढ़ साल तक जेल में रहा था। जेल से छूटने के बाद से ही वो इस धंधे में शामिल हुआ।
शराब बनाने का नया मॉड्यूल बनाया, तैयार किया था बड़ा नेटवर्क
राजेश ने बिहार में शराब बनाने का एक नया मॉड्यूल तैयार किया था। ये होम्योपैथी की दवा में इस्तेमाल होने वाली स्प्रिट से शराब बनाता। सबसे पहले इसने चीनी और स्प्रिट से शराब बनाई। इसमें ये स्प्रिट में चीनी को जलाकर मिलाता था। इसके बाद वो इसे अंग्रेजी शराब की बोतल में रैपर लगाकर बेचता था। इसे बेचने में इसे काफी दिक्कत हो रही थी। आमदनी कम और परेशानी ज्यादा थी।
इसके बाद यह स्प्रिट से देसी शराब बनाने लगा। पहले छोटे पैमाने पर शुरू किया। जब इसे मुनाफा समझ में आया तो उसने इसका बड़ा नेटवर्क तैयार किया। आसपास के लोगों को भी इसमें जोड़ते चला गया। अपने साथ इसने दो तरीके से लोगों को जोड़ा। एक को शराब बनाना सिखाया तो दूसरे ग्रुप को डिस्ट्रीब्यूशन से जोड़ा। इन्हीं के माध्यम से वह सारण के अलग-अलग जिलों में अपना धंधा बढ़ाते चला गया।
फर्जी नाम और पता बताकर ट्रांसपोर्ट से मंगाता था अवैध दवा
राजेश स्प्रिट को बहुत शातिर तरीके से यूपी से छपरा लाता था। पुलिसिया पड़ताल में ये बात निकल कर सामने आई है कि ये यूपी के अलग-अलग शहरों से होम्योपैथी की दवा का स्प्रिट मंगाता था। वहां के अलग-अलग डॉक्टरों से दवा खरीद कर फर्जी नाम और पते से ट्रांसपोर्ट में दवा कह कर बुक करता था और यहां उसे रिसीव करता। इसके बाद उसे शराब बनाने के ठिकाने तक पहुंचा देता था। इससे किसी को कोई शक भी नहीं होता।
क्राइम से पुराना नाता, मूर्ति चोरी में जा चुका है जेल
राजेश सिंह का क्राइम से पुराना नाता रहा है। जलालपुर थाने में इसके खिलाफ आर्म्स एक्ट से लेकर कई संगीन धाराओं में केस दर्ज है। मूर्ति चोरी के एक मामले में ये डेढ़ साल तक जेल में भी रह चुका है। पुलिस का दावा है कि शराब बनाने के मामले में ये पहले भी एक बार जेल जा चुका है।
हालांकि उसकी पत्नी पुलिस के इस दावे को खारिज कर रही है। पत्नी ने दैनिक भास्कर को बताया कि राजेश अभी तक मात्र एक बार जेल गया है, मूर्ति चोरी के आरोप में। उसके बाद अब इस मामले में पुलिस ने पकड़ा है।
होम्योपैथी में पावरफुल दवाओं के लिए होता है स्प्रिट का इस्तेमाल, 100 एमएल तक रखने की अनुमति
20 साल से होम्योपैथी की प्रैक्टिस करने वाले डॉ. आलोक कहते हैं कि पावरफुल दवाओं में स्प्रिट का इस्तेमाल किया जाता है। यहां इस्तेमाल होने वाला स्प्रिट पूरी तरह रिफाइंड और प्योर होता है। दवा में इसकी मात्रा एक से दो बूंद होती है। स्प्रिट की जगह इसे दवा के नाम से ही रखा जाता है।
शराबबंदी के बाद बिहार में कोई भी डॉक्टर 100 एमएल या 30 एमएल की बोतल ही रख सकता है। इससे ज्यादा रखने की अनुमति नहीं है। हां, पहले जरूर 450 एमएल की बोतल आती थी। अब इसे प्रतिबंधित कर दिया गया है। हालांकि कोलकाता, यूपी या अन्य शहरों में इसकी बिक्री अभी तक जारी है।
एक लीटर स्प्रिट से 3 लीटर देसी शराब बनाई जा सकती है
शराब के धंधे से जुड़े एक व्यक्ति ने दैनिक भास्कर को बताया- एक लीटर स्प्रिट से 3 लीटर देसी दारू तैयार की जा सकती है। स्प्रिट में पानी को तीन एक के रेश्यो में मिलाया जाता है। पानी मिलाने के बाद इसकी डेनसिटी 42 डिग्री या 41 डिग्री होनी चाहिए। पानी मिलाने के बाद इसे एक मशीन की मदद से सीधे पाउच में पैक कर दिया जाता है।
पत्नी का दावा- 16 दिसंबर को ही गिरफ्तार कर ले गई थी पुलिस
पुलिस के मुताबिक राजेश सिंह को पुलिस ने 22 दिसंबर को गिरफ्तार किया। उसकी निशानदेही पर उसकी गैंग में शामिल अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया। जबकि पत्नी दावा कर रही है कि उसकी गिरफ्तारी 16 दिसंबर को ही हो गई थी। सुबह 5 बजे ससुराल से पुलिस उसे उठा ले गई। इस दौरान दो अपाचे बाइक और सभी के मोबाइल जब्त किए गए थे। एक दिन बाद सभी के मोबाइल लौटा दिए गए।