केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को आरएसएस के शताब्दी वर्ष पर इसकी सराहना करते हुए कहा कि संगठन के कार्यकर्ता हमेशा सभी सुख-सुविधाओं का त्याग कर राष्ट्र की सेवा और सुरक्षा के लिए समर्पित रहे हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को आरएसएस के शताब्दी वर्ष पर कहा कि संगठन के कार्यकर्ता हमेशा सभी सुख-सुविधाओं का त्याग कर राष्ट्र की सेवा और सुरक्षा के लिए समर्पित रहे हैं। शाह ने स्वयं को गौरवान्वित स्वयंसेवक बताते हुए कहा कि आरएसएस ने अपने 100 वर्षों में शीर्ष नेतृत्व से लेकर जमीनी स्तर तक के कार्यकर्ताओं तक कई व्यक्तित्वों को आकार दिया है।
अमित शाह ने एक्स पर लिखा, विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ की शताब्दी वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। संघ शताब्दी की इस विशाल यात्रा में मां भारती की सेवा, सुरक्षा और संवेदना के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर देने वाले आरएसएस के सभी साधकों को नमन करता हूं।सभी सुख-वैभव को त्यागकर एक स्वयंसेवक और प्रचारक के रूप में पूरा जीवन राष्ट्रसेवा के लिए समर्पित कर देना आसान नहीं है। 100 वर्षों में संघ के असंख्य स्वयंसेवकों और प्रचारकों ने त्याग और समर्पण से इसे सिद्ध कर दिखाया है। परम पूज्य हेडगेवार जी के नेतृत्व में वर्ष 1925 में नागपुर में विजयादशमी के दिन कुछ लोगों के साथ शुरू हुआ संघ आज व्यक्ति से लेकर राष्ट्र के प्रति समर्पण और संगठन कौशल के दम पर दुनिया का सबसे बड़ा सामाजिक संगठन बन गया है। मुझे गर्व है कि मैं भी एक स्वयंसेवक हूं।
उन्होंने कहा कि देश के सर्वोच्च पदों पर आसीन नेताओं से लेकर जमीनी कार्यकर्ताओं तक, संघ शताब्दी की ऐतिहासिक यात्रा ने अनेक ऐसे व्यक्तित्व गढ़े हैं, जिनके जीवन का लक्ष्य ही राष्ट्रनिर्माण रहा। हैदराबाद मुक्ति संग्राम हो, आपातकाल का प्रतिकार हो, गोवा मुक्ति आन्दोलन हो, युद्धों में वीर जवानों की सहायता हो, धारा 370 का विरोध हो, पूर्वोत्तर में घुसपैठिया विरोधी आंदोलन हो, स्वयंसेवकों ने राष्ट्रनिर्माण के कार्यों को त्याग और समर्पण से नई ऊंचाई दी है। मरुभूमि हो या बीहड़ जंगल, हिमालय की दुर्गम चोटियां हों या सुदूर देहात, संघ ने हर जगह ‘महामंगले पुण्यभूमे’ के प्रति निष्ठा और सेवा का ध्वज लहराया। वनवासियों, पिछड़ों, दलितों, वंचितों और देश के सभी वर्गों को एकता के सूत्र में पिरोकर, आत्मगौरव से युक्त राष्ट्र की संकल्पना में अहर्निश योगदान देने वाली संघ शताब्दी की यह यात्रा इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखी जाएगी।