फिल्म 72 हूरें सिनेमाघरों में आ गई है। फिल्म की रिलीज से पहले ही इसके सब्जेक्ट को लेकर कई तरह के विवाद चल रहे थे। फिल्म की कहानी कहती है कि कैसे जन्नत में 72 हूरें मिलने का लालच दिखाकर नौजवानों को आतंकी बनाया जाता है। सोशल मीडिया पर भी लगातार इस पर बहस हो रही है। कुछ लोग फिल्म को सही बता रहे हैं, कुछ इसे इस्लाम को बदनाम करने का जरिया करार दे रहे हैं। फिल्म मेकर्स का कहना है ये फिल्म किसी धर्म के खिलाफ नहीं है।
हमने इस्लामिक स्टडीज से जुड़े कुछ स्कॉलर्स से इस बारे में बात की। क्या वाकई कुरान में 72 हूरों का जिक्र है? ये आधा सच है। कुरान में हूरों का जिक्र है, लेकिन उनकी संख्या नहीं बताई गई है। इस्लामिक स्कॉलर्स का कहना है कि 72 हूरें वेस्टर्न राइटर्स की दिमागी उपज है। उन्होंने ही इसे प्रोपेगेंडा के तौर पर इस्तेमाल किया है। हूरें नेक काम करने वालों को मिलने का जिक्र है, ना कि हिंसा फैलाने वालों को।
72 हूरें के कॉन्सेप्ट को जानने के लिए हमने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रो. ओबैदुल्लाह फहाद, दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया सेंट्रल यूनिवर्सिटी में इस्लामिक स्टडीज के प्रो. जुनैद हारिस, सहारनपुर में दारुल-उलूम देवबंद में हदीस के प्रोफेसर मौलाना अरशद मदनी और बरेली के दरगाह ए आला हजरत के मौलाना शाहबुद्दीन से बात की।
कुरान में हूरों का जिक्र कहां?
प्रो. ओबैदुल्लाह फहाद के मुताबिक, कुरान शरीफ के 44वें अध्याय की 51-54वीं आयत में हूर का जिक्र है।
कुरान शरीफ के 25वें पारे के सुहर अद-दुखन की 51वीं से 54वीं आयत में लिखा है-
51. इन्ना मुत्तकीना फी मकामिन आमीन
52. फी जन्नतिन व उयून
53. यलबसूना मिन सुंदुसिंव व इस्ताब्राकिम मुत्तकाबिलेन
54. कज़ालिका व ज़वज़नाहुम बुहूरें
इसके मायने हैं-
बेशक परहेजगार लोग अमन की जगह, यानी बागों और चश्मों में होंगे।
रेशम के कभी बारीक और कभी दबीज (मोटे) कपड़े पहने एक दूसरे के सामने बैठे होंगे।
वहां हम सुंदर, चमकदार आंखों वाली गोरी हूरों से मिलेंगे।
कुरान में सिर्फ हूरों का जिक्र, संख्या की कोई सीमा नहीं
कुरान में हूर के बारे में जो लिखा गया है, उसका हवाला देते हुए मौलाना अरशद मदनी कहते हैं- मान लीजिए कोई नेक दिल इंसान एक बदसूरत लड़की से उसके परिवार की खुशी के लिए शादी करता है और उसे खुश रखता है तो उसे जन्नत में एक खूबसूरत हूर दी जाती है।