नई दिल्ली 21 मार्च दिल्ली के इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स कंपलेक्स स्थित केडी जाधव स्टेडियम में इन दिनों विश्व महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप का आयोजन चल रहा है।इस आयोजन को लेकर विभिन्न तरह की सुविधाएं भी आयोजकों द्वारा मुहैया करवाई जा रही है जिसमें मीडिया रूम भी शामिल है ।इस मीडिया रूम में यूं तो मीडिया वालों के नाम पर सुविधा देने की बड़ी-बड़ी बातें की गई है लेकिन सच्चाई कुछ और ही है । यहां मीडिया रूम में 15 से 20 वॉलंटियर्स को लगाया गया है। इनको बताया गया है कि वह मीडिया की हेल्प करेंगे और उन्हें जो भी जानकारी चाहिए होगी वह मुहैया कराई जाएगी। लेकिन होता है यहां ठीक उलट है असल में मीडिया की लगी टेबल पर वॉलिंटियर्स का कब्जा रहता है जिस पर वह मोबाइल से गेम खेलने पर ज्यादा ध्यान रखते हैं। यही नहीं परिणाम और कार्यक्रमों की कॉपी भी कई बार कहने के उपरांत मिल पाती है इसके अलावा कोई अगर नई अपडेट आई हो उसकी जानकारी लेनी हो तो कहा जाता है कि नीचे लैपटॉप पर जाकर उसका प्रिंट निकालना पड़ेगा। लेकिन वह जानकारी कब मिलेगी कोई देखने वाला नहीं। वॉलिंटियर्स 5 से 10 लोगों का समूह बनाकर बैठे हुए आप देख सकते हैं मजेदार वाली बात यह है कि वॉलिंटियर्स की इंचार्ज जिन्हें बनाया गया है वह देर शाम तक होते ही नहीं है वह वॉलिंटियर्स को छोड़ कर अपने घर चली जाती है जबकि वॉलिंटियर्स देर रात के लिए अपने घर निकलते हैं। पूछने पर बताया जाता है कि वह चले गए बताया यह जा रहा है कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय की एक कॉलेज की स्पोर्ट्स की टीचर है। मीडिया बॉक्स में मीडिया के फोटोग्राफर रिपोर्टर कम और वॉलिंटियर्स के मित्र अधिक दिखाई देते हैं जिससे काफी परेशानी का सामना मीडिया वालों को उठाना पड़ता है यह जानकारी एक सीनियर पत्रकार ने हमें खुद दी है ऐसी ही बातें कुछ फोटोग्राफरों ने भी बताई कि कोई भी जानकारी अगर हम मांगते हैं तो वह मिल नहीं पाती अक्सर देखने को मिलता है कि टीमों के कोच और खिलाड़ियों के कमरों के बाहर वॉलिंटियर्स ग्रुप मैं बैठे हुए होते हैं और वहां मोबाइल से चैट करते हैं इस बारे में वॉलिंटियर्स की इंचार्ज से बात करने की कोशिश की तो पता वह स्टेडियम में है ही नहीं आई थी और मीटिंग लेकर चली गई ऐसे में चैंपियनशिप के 2 दिन बाकी बचे हैं आगे क्या हो ईश्वर ही जानता है। वॉलिंटियर्स को सुबह बुला लिया जाता है 8:00 बजे और रात के लगभग 11:00 बजे: छोड़ा जाता है और मिलता क्या है केवल एक लंच या डिनर पैसे की तो बात छोड़ दीजिए। वॉलिंटियर्स बच्चों ने कहा है कि वह तो अपना पैसा लगाकर स्टेडियम तक आते हैं कईयों ने तो कहा कि आने जाने में ₹100 से 200 रुपए प्रतिदिन खर्च हो रहा है लेकिन यहां मिलता कुछ नहीं है ऐसे में आयोजकों को वॉलिंटियर्स के लिए भी कुछ सोचना चाहिए