कारगिल की लड़ाई भारतीय सेना के स्वर्णिम इतिहास का ऐसा युद्ध है, जो भारतीय सेना के अदम्य साहस और सैन्य रणनीति का शानदार उदाहरण माना जाता है। हालांकि इस युद्ध में एक मौका ऐसा भी आया, जब भारतीय सेनाओं में इस बात पर मतभेद रहे कि युद्ध में वायुसेना का इस्तेमाल किया जाए या नहीं। आइए जानते हैं इस दिलचस्प वाकये की पूरी कहानी…
कारगिल की लड़ाई में एक समय ऐसा भी आया, जब दो भारतीय जनरल आमने-सामने आ गए। मुद्दा था कि कारगिल में एयरफोर्स को उतारा जाए या नहीं। दूसरी तरफ मुशर्रफ की फौज थी, जो पाकिस्तान की सरकार के हाथ से निकल चुकी थी। कारगिल की लड़ाई के दौरान भारतीय सेना के प्रमुख रहे वेद प्रकाश मलिक चाहते थे कि एयरफोर्स को उतारा जाए। दूसरी तरफ वायुसेना अध्यक्ष अनिल यशवंत टिपनिस, इस पहल को कोई खास तव्वजो नहीं दे रहे थे। ये अलग बात रही कि तत्कालीन वाइस चीफ ऑफ एयरस्टाफ चंद्रशेखर ने कारगिल में वायुसेना भेजने की पैरवी की। जनरल वीपी मलिक ने बंद कमरे की बैठक में साफ कह दिया कि ‘कारगिल व लद्दाख में लड़ रही सेना के लिए वायुसेना की मदद पहुंचना जरूरी है। मैं इसके लिए कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) के सामने आपका (अनिल यशवंत टिपनिस) का विरोध करूंगा।’ इसके बाद कभी सीसीएस तो कभी विदेश मंत्री जसवंत सिंह वायु सेना के इस्तेमाल के खिलाफ खड़े हो गए। हालांकि बाद में वायुसेना को कारगिल में उतारने को लेकर सहमति बन गई।