अतीक अहमद का भाई अशरफ अपनी बात पूरी करता, इससे पहले ही शूटर्स ने दोनों भाइयों पर ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार कर दी। हत्या के बाद लोग पूछने लगे कि आखिर गुड्डू मुस्लिम के बारे में अशरफ क्या बताने जा रहा था?
सवाल उठा तो कयास लगने भी शुरू हो गए। एक कयास ये भी है कि गुड्डू मुस्लिम ने अतीक अहमद के साथ दगाबाजी की। इसीलिए वो अभी तक बचा हुआ है, जबकि असद का एनकाउंटर हो गया। इन कयासों के जवाब तो फिलहाल किसी के पास नहीं हैं, लेकिन गुड्डू मुस्लिम का अतीत जरूर दगाबाजी वाला रहा है।
हिस्ट्रीशीटर सत्येंद्र सिंह का भरोसेमंद बना…
गुड्डू मुस्लिम का जन्म प्रयागराज में हुआ। चार भाइयों में सबसे बड़ा गुड्डू शुरुआत में घर की चिकन शॉप पर बैठता था। हालांकि 15 साल की उम्र में ही उसने अपराध की दुनिया में कदम रख दिया।
इसके बाद उसका खौफ कायम हो गया। स्थानीय लोग बताते हैं कि पहले जब वह सड़क पर चलता था तो कोई भी उसकी आंखों में देखने की हिम्मत नहीं करता था।
जब गुड्डू अपराध के रास्ते पर चलने लगा तो घरवालों ने उसे लखनऊ भेज दिया। लखनऊ में सुधरने की बजाय वह बड़े माफियाओं से जुड़ता गया।
इसी दौरान वह फैजाबाद के हिस्ट्रीशीटर सत्येंद्र सिंह की गैंग से शामिल हो गया। इतना ही नहीं, वह सत्येंद्र सिंह के भरोसेमंद लोगों में भी शामिल हो गया। सत्येंद्र जब भी किसी बड़े अपराध को अंजाम देने की प्लानिंग करता था तो उसमें गुड्डू जरूर शामिल होता था।
1997 में एक रोज हिस्ट्रीशीटर सत्येंद्र सिंह अपने साथी गुड्डू मुस्लिम के साथ घर से निकलता है। गुड्डू मुस्लिम गाड़ी की अगली सीट पर बैठा था। कुछ दूर चलने के बाद गाड़ी रुक जाती है और गुड्डू उतरकर आगे खड़ी गाड़ी में बैठ जाता है। जैसे ही गुड्डू की गाड़ी 100 मीटर आगे बढ़ती है तभी सत्येंद्र की गाड़ी पर ताबड़तोड़ फायरिंग होती है।
AK-47 से हुई इस गोलीबारी में सत्येंद्र सिंह मारा जाता है। इस घटना में गुड्डू बाल-बाल बच जाता है।
कई मीडिया रिपोर्ट्स ने दावा किया है कि गुड्डू मुस्लिम ने ही सत्येंद्र सिंह की मुखबिरी की थी। इस हत्या का आरोप श्रीप्रकाश शुक्ला पर लगा था।
गुड्डू मुस्लिम पर संतोष सिंह को धोखा देने का आरोप
1996 में गुड्डू मुस्लिम अयोध्या के सरायरासी गांव में अक्सर देखा जाता था। दरअसल, इसी गांव में रहने वाले संतोष सिंह से उसकी दोस्ती थी।
संतोष के पास उस वक्त मारुति कार और राइफल हुआ करती थी। गुड्डू अक्सर राइफल उठाए संतोष के साथ घूमते हुए देखा जाता था। वह उसकी मारुति कार में बैठकर उसके साथ ही घूमता रहता था। ऐसा कहा जाता है कि हिस्ट्रीशीटर सत्येंद्र सिंह की जिस दिन हत्या हुई थी, उस रोज भी गुड्डू मुस्लिम सत्येंद्र की गाड़ी से उतरकर अपने साथी संतोष की गाड़ी में ही बैठा था।
मतलब ये कि किसी अपराध को अंजाम देने में अब संतोष और गुड्डू साथ होते थे। इसी वक्त गुड्डू मुस्लिम ने संतोष सिंह की मुलाकात लखनऊ में बाहुबली धनंजय सिंह और बाहुबली अभय सिंह से कराई।
अभय सिंह और संतोष सिंह का घर आस-पास के गांव में था। एक रोज गुड्डू मुस्लिम के साथ संतोष सिंह लखनऊ के लिए निकला, लेकिन वापस घर नहीं लौटा। अगले दिन उसका शव रायबरेली में सड़क किनारे मिला था। ऐसा माना जाता है कि संतोष सिंह की हत्या में भी गुड्डू मुस्लिम का ही हाथ है।