मणिपुर में 4 मई को भीड़ ने दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाया था। 19 जुलाई को इसका वीडियो सामने आने के बाद राज्य में हिंसा बढ़ गई है। अब पड़ोसी राज्य मिजोरम में भी खतरा मंडरा रहा है।
अंडरग्राउंड मिजो नेशनल फ्रंट के मिलिटेंट्स के संगठन पीस अकॉर्ड एमएनएफ रिटर्नीज एसोसिएशन (PAMRA) ने एक बयान जारी करके कहा कि मिजोरम में रहने वाले मैतेई लोगों को उनकी सुरक्षा के मद्देनजर राज्य छोड़ देना चाहिए। इस वक्त मीजो समुदाय की भावनाएं आहत हैं।
डर के कारण मैतेई समुदाय के 40 लोग शनिवार को मिजोरम राज्य छोड़कर मणिपुर की राजधानी इंफाल आ गए हैं। हजारों लोग पलायन को मजबूर हैं। मणिपुर सरकार ने भी कह दिया है कि वो अपने मैतेई लोगों को चार्टर्ड फ्लाइट से इवेक्युएट कराएगी।
शनिवार को दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल मणिपुर पहुंचीं। एयरपोर्ट पहुंचते ही उन्होंने कहा- वह सीएम बीरेन सिंह से मिलने आई हैं।
मिजो जनजाति कुकी के काफी करीब
मिजोरम राज्य में रहने वाली मिजो जनजाति का कुकी-जोमी समुदाय से ऐतिहासिक तौर पर एक भावनात्मक लगाव रहा है। मणिपुर में जिस तरह से हालात बदल रहे हैं उसकी वजह से दूसरे राज्यों में रहने वाले मैतेई समुदाय की मुश्किलें बढ़ रही हैं। मणिपुर में रहने वाले अब तक 12 हजार से ज्यादा कुकी समुदाय के लोगों को मिजोरम राज्य में शरण मिली है।
मिजोरम में मैतेई समुदाय के कितने लोग रहते हैं?
मणिपुर मूल के मैतेई समुदाय के कई सारे लोग नॉर्थ ईस्ट के अलग-अलग राज्यों में नौकरी और बिजनेस के चलते वहां रहते हैं। मिजोरम की राजधानी एजवाल में ही करीब 2000-2100 मैतेई लोग रहते हैं।
22 जुलाई को मणिपुर में फिर हुई हिंसा, स्कूल-घर जलाया
शनिवार (22 जुलाई) को चुराचांदपुर और इंफाल के पास मैतेई और कुकी समुदाय के बीच रात भर फायरिंग हुई। बिष्णुपुर के थोरबुंग में भीड़ ने एक स्कूल और कई घरों में आग लगा दी।
इस दौरान ऑटोमैटिक राइफल्स, पॉम्पी गन्स, विस्फोटकों से हमला किया गया। मौके पर CRPF, BSF और असम रायफल के जवान तैनात हैं। रविवार को भी थोरबुंग, कांगवाय के अंदरूनी इलाकों में फायरिंग हुई थी।