श्रीनगर में आतंकी हमलों के पीछे पाकिस्तान की कश्मीरियों से खुन्नस है, जो कश्मीर के लोगों को डराने और भारत से दूर करने के लिए की जा रही है।
कश्मीर के लोग मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं। वे देश के साथ चल रहे हैं। चाहे सरकारी योजनाओं का लाभ लेना हो या सरकार के फैसलों से सहमत होना हो। हर जगह कश्मीरी देश के लोकतंत्र और सांविधानिक तरीके से होने वाले कार्यों में शामिल हो रहे हैं।
चुनावों में 80 फीसदी मतदान कर कश्मीर के लोगों ने खुद को देश का हिस्सा साबित किया है। पाकिस्तान इसी की खुन्नस निकाल रहा है। कश्मीरियों को डराने का प्रयास कर रहा है। रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि श्रीनगर में आतंकी हमले बढ़ना इसका एक बड़ा कारण है। यही नहीं, आतंकी वारदातों में स्थानीय आतंकियों का न होना भी पाकिस्तान को चुभ रहा है। इसलिए आतंकी वारदातों के लिए पाकिस्तान से आतंकियों को भेजा गया है।पूर्व डीजीपी एसपी वैद का कहना है कि पाकिस्तान हताश और परेशान है। इसका कारण कश्मीरियों का भारत पर बनता विश्वास है।
पाकिस्तान ने हमेशा ही कश्मीर में अशांति फैलाकर आतंकवाद को बढ़ावा दिया और देश को अस्थिर किया। अब वैसा नहीं हो पा रहा। कश्मीर के लोग देश की बोली बोल रहे हैं, जाकि पाकिस्तान को पच नहीं पा रहा। न ही आतंकी संगठनों के पास कश्मीर में उस स्तर का नेटवर्क है कि वे स्थानीय आतंकियों की मदद से हमले कर सकें। इसलिए बीते कुछ समय से पाकिस्तान से बड़े स्तर पर आतंकियों की घुसपैठ कराई गई। यही अब हमले कर रहे हैं। सीमा पार से आतंकी घुसपैठ पर अंकुश लगाने में और सख्त कदम उठाने होंगे। इससे निश्चित तौर पर ऐसी वारदातें थमेंगी।
कश्मीरी लोगों को डराने का प्रयासपिछले पांच वर्षों में कश्मीर में जमकर पर्यटक पहुंचे हैं। लोगों ने अच्छा रोजगार प्राप्त किया। एक समय था। जब कश्मीर का युवा 500 या हजार रुपये लेकर पत्थर मारता था। अब वह काम करता है। पाकिस्तान इससे आहत है। वह कश्मीरियों को डराकर अपने लिए खड़ा करने का प्रयास कर रहा है, जोकि नहीं हो रहा। बस यहीं कारण है कि आम नागरिकों पर हमले किए जा रहे हैं।
आतंकी झुंड नहीं, चंद लोगों के साथ चल रहेपिछले कुछ समय से आतंकी संगठनों ने अपनी रणनीति बदल दी है। आतंकी हमलों के लिए बड़े नेटवर्क का इस्तेमाल नहीं कर रहे। एक समय था, जब आतंकियों के लिए काम करने वालों की लंबी चौड़ी सूची होती थी। तब आतंकियों के पकड़े जाने के चांस अधिक रहते थे। अब आतंकी सिर्फ 3 या 4 लोगों की मदद लेते हैं। यही कारण है कि उनके लिए कश्मीर में हमले करना आसान हो रहा है। आतंकियों के पास कश्मीर में सिर्फ चंद लोग पनाह देने वाले हैं। आतंकी नहीं है। इसी को लेकर हमले किए जा रहे हैं।