27 फरवरी को नगालैंड में विधानसभा चुनावों के लिए वोटिंग हुई थी, 2 मार्च को यानी कल नतीजे आने हैं। आपने यूपी-बिहार और अन्य राज्यों के दूर-दराज के इलाकों में बूथ कैप्चरिंग की घटनाएं सुनी होंगी। इलाके के दबंग या क्रिमिनल, लोगों को डरा-धमकाकर किसी खास कैंडिडेट के पक्ष में वोटिंग कराते हैं या फिर किसी खास कैंडिडेट के पक्ष में वोटिंग नहीं होने देते।
लेकिन, अगर मैं आपसे कहूं कि नगालैंड के गांवों में ये सब खुलेआम चल रहा है, तो चौंकिए मत क्योंकि यहां पूरे परिवार के बदले एक शख्स ही वोट डाल देता है। इसके लिए गांव के लोगों की बाकायदा मीटिंग भी होती है और कथित तौर पर परिवार के हिसाब से पैसा भी बंटता है। इस बार ये रेट 25-50 हजार प्रति परिवार बताया जा रहा है।
इस लेटर में लिखा है- ‘कुशियाबिल विलेज काउंसिल की 26 फरवरी को एक मीटिंग हुई, जिसमें विधानसभा चुनावों के लिए रेजोल्यूशन पास किया गया। इस मीटिंग में जीबी (राजा), असिस्टेंट जीबी और विलेज काउंसिल मेंबर्स ने तय किया कि 27 फरवरी को होने वाली वोटिंग में पोलिंग स्टेशन-1 पर सभी लोग वोट डालने नहीं जाएंगे। भीड़ से बचने के लिए परिवार का एक शख्स ही पूरे परिवार के लिए वोट डालेगा।’
27 फरवरी को ऐसा हुआ भी, सिर्फ एक गांव में नहीं, बल्कि उन सभी गांवों में जहां जीबी सिस्टम काम करता है।
जीबी सिस्टम तय करता है किसे वोट देना है
17 फरवरी को भास्कर ने अपनी एक रिपोर्ट में इस सिस्टम के बारे में डीटेल में बताया था। इस रिपोर्ट के दौरान मैं नगालैंड की राजधानी कोहिमा से 50 किमी दूर दीमापुर के सुहोई गांव के जिओ सीपी येप्थो से मिला था।
उन्होंने जीबी सिस्टम से जुड़े मेरे सवाल पर कहा था- ‘यहां एक राजा (हेड जीबी) और उसका 4 लोगों का मंत्रिमंडल (असिस्टेंट जीबी) होता है। यही गांव वालों के नियम बनाते हैं। गांव के लोग किसे वोट देंगे, ये भी हेड जीबी तय करते हैं। कोई भी PM हो, CM हो, लेकिन हमारे लिए हेड जीबी या गांव बोरा (Gaon Burahs) ही हमारा राजा है। यहां से निकलकर अगर कोई CM भी बन जाए, तो गांव लौटने पर उसे भी राजा का आदेश मानना ही पड़ेगा।’