DEEP FAKE Videos आने वाले समय में सिर्फ भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए चुनौती बन जाएंगे. आज ये हालात हैं कि किसी भी व्यक्ति के चेहरे पर किसी अन्य का चेहरा लगाने के बाद, लोग असली और नकली का फर्क भूल जाते हैं. अभिनेत्री रश्मिका मंदाना के DEEP FAKE Video को ज्यादातर लोग सच मान बैठे थे. लेकिन रश्मिका ने इस वीडियो का खंडन किया और जब उन्होंने इस वीडियो की शिकायत दर्ज करवाई, तब आम लोगों को पता चला कि ये रश्मिका का DEEP FAKE Video था.
इसी तरह से हिंदी फिल्म एक्ट्रेस काजोल का भी DEEP FAKE Video सामने आया था, जिसमें वो कपड़े बदलती हुई दिखाई दी थीं. पहली बार में जब लोगों ने ये वीडियो देखा था तो सभी हैरान रह गए थे. लेकिन जब इस वीडियो को लोगों ने ध्यान देखा तब पता चला कि ये DEEP FAKE Video है.
पीएम मोदी ने भी जताई चिंता
DEEP FAKE Videos को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी काफी चिंतित नजर आए थे. उनकी इन चिंताओं को देखते हुए, भारत सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों से DEEP FAKE Videos को लेकर एक बैठक आयोजित की थी. इस बैठक में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद थे. भारत सरकार DEEP FAKE Videos को लेकर Rules Regulation लाना चाहती है. सरकार का मानना है कि DEEP FAKE Videos को Free Speech या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं माना जा सकता है. DEEP FAKE Videos को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया गया.
सरकार बनाने जा रही ड्राफ्ट
सरकार DEEP FAKE Videos को लेकर जो Regulation लाना चाहती है, उसके लिए जल्दी ही DRAFT तैयार करेगी. इसके लिए चार पॉइंट्स पर ध्यान दिया जाएगा.
पहला – DEEP FAKE को Online पोस्ट करने से पहले कैसे रोका जाए.
दूसरा – DEEP FAKE Videos को वायरल होने से कैसे रोका जाए.
तीसरा- DEEP FAKE Videos के खिलाफ शिकायत प्रक्रिया को कैसे बेहतर किया जाए.
चौथा- DEEP FAKE को लेकर जागरुकता बढ़ाने के क्या उपाय किए जाएं.
सोशल मीडिया कंपनियों की भी जिम्मेदारी?
DEEP FAKE एक ऐसी आधुनिक समस्या है, जो समय के साथ-साथ बढ़ती चली जाएगी. Artificial Inteligence आधुनिक समाज की जरूरत बनता जा रहा है. लेकिन AI का दुरुपयोग भी तेजी से बढ़ा है. DEEP FAKE VIDEOS और तस्वीरें, इसी का एक उदाहरण है. DEEP FAKE को फिलहाल मनोरंजन के मकसद से बनाया जा रहा है. लेकिन इसका इस्तेमाल धीरे धीरे, लोगों की छवि बिगाड़ने के लिए भी किया जाने लगा है.
इस तरह के वीडियोज और तस्वीरों को आमतौर पर सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर पब्लिश किया जाता है. इसीलिए सरकार ने भी इस समस्या को लेकर सोशल मीडिया कंपनियों को बुलाया था. अब सवाल ये है कि DEEP FAKE को लेकर जब कार्रवाई की बारी आएगी,तो क्या वो सिर्फ DEEP FAKE बनाने वाले पर होगी या फिर सोशल मीडिया कंपनियों पर भी होगी?