विजय कुमार
नई दिल्ली 7 नवंबर। दिल्ली में खेल आयोजनों की स्थिति में गंभीर अव्यवस्था और अराजकता की तस्वीर एक बार फिर सामने आई है। यह मामला दिल्ली सरकार द्वारा वार्षिक राज्य स्कूल स्विमिंग प्रतियोगिताओं के आयोजन में गंभीर कुप्रबंधन को दर्शाता है। दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय के अनुभाग अधिकारी द्वारा 28 अक्टूबर को एक सर्कुलर जारी कर इस साल की खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन की सूचना दी गई थी।
हालांकि, उसी के बाद एक अन्य सर्कुलर में बताया गया कि प्रतियोगिताएं 6 नवंबर से आयोजित होंगी। फिर, 5 नवंबर को अचानक एक सर्कुलर जारी कर यह घोषणा कर दी गई कि इन खेलों का आयोजन स्थगित किया जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि ठीक अगले दिन यानी 6 नवंबर को रात 9 बजे एक और सर्कुलर जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि प्रतियोगिताएं 7 नवंबर से शुरू की जाएंगी। स्विमिंग प्रतियोगिता स्टेडियम में होने निश्चित की गई। यह आलम दिल्ली के श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्विमिंग स्टेडियम का है।
खेलों में भाग लेने वाले छात्रों को उचित समय न देना और तैयारी का मौका तक न देना, दिल्ली सरकार के अधिकारियों की लापरवाही और गैरजिम्मेदाराना रवैये को दर्शाता है। खासतौर पर तैराकी जैसे खेल में, जहाँ प्रतियोगिता से कम से कम एक सप्ताह पूर्व प्रशिक्षण कार्यक्रम में बदलाव करना अनिवार्य होता है, वहाँ अचानक की गई इन घोषणाओं ने खिलाड़ियों के लिए मानसिक और शारीरिक परेशानी खड़ी कर दी है।
प्रतियोगिता के दिन आयोजन का समय सुबह 10 बजे निर्धारित था, लेकिन दिल्ली सरकार के अधिकारियों के बीच आंतरिक विवादों के चलते कार्यक्रम को 11:30 बजे तक भी शुरू नहीं किया जा सका। इस दौरान खिलाड़ियों को वॉर्म-अप करने के बाद लगभग 2 घंटे तक इंतजार करना पड़ा, जिससे न केवल उनकी ऊर्जा का क्षय हुआ बल्कि खेल में उनकी गुणवत्ता और तैयारी भी प्रभावित हुई।
सूत्रों की माने तो छत्रसाल स्थित दिल्ली सरकार के विभिन्न खेल अधिकारी अपने चाहतों को कंपटीशन में तकनीकी अधिकारी लगाने की कोशिश करते रहे हैं। यह इसलिए किया जा रहा था ताकि वह अपने चाहते खिलाड़ी को पहले तीन में स्थान दिला सके ।
मजेदार बात यह है कि इन्हीं अधिकारियों ने दिल्ली स्विमिंग एसोसिएशन की एडॉक कमेटी को मेल लिखकर तकनीकी अधिकारियों को यहां लाने को बोला गया है लेकिन उनके तकनीकी अधिकारियों को कई घंटे तक नहीं लगाया गया। लेकिन जब खिलाड़ियों के परिवार के सदस्यों ने अपना विरोध प्रकट किया और मीडिया में जाने की बात कही तब कहीं जाकर अपने चाहतों को हटाकर सही तकनीकी अधिकारियों को लगाया गया।
दिल्ली सरकार के अधिकारियों का यह गैरजिम्मेदाराना रवैया खेल संस्कृति और उभरते खिलाड़ियों के प्रति उनकी उदासीनता को स्पष्ट करता है। इस प्रकार की प्रशासनिक विफलता न केवल दिल्ली के छात्रों के भविष्य के लिए हानिकारक है, बल्कि खेलों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है