ED ने दिल्ली जल बोर्ड मामले से जुड़े घोटाले में बड़ा खुलासा किया है. एजेंसी का दावा है कि बोर्ड में घोटाले और रिश्वत की रकम आम आदमी पार्टी के पास गया है. जिसका इस्तेमाल चुनावी खर्चे को तौर पर हुआ. ED ने इस मामले में 6 फरवरी को दिल्ली, चंडीगढ़ और वाराणसी में छापेमारी की थी.
एजेंसी ने दिल्ली जल बोर्ड घोटाले मामले में सीबीआई की जुलाई 2022 में दर्ज मामले के आधार पर मनी लॉड्रिग का मामला दर्ज कारवाई की थी. इस मामले में कार्रवाई करते हुए एजेंसी ने 31 जनवरी 2024 को दिल्ली जल बोर्ड को पूर्व चीफ इंजिनियर जगदीश अरोड़ा और प्राइवेट कंपनी के मालिक अनिल अग्रवाल को गिरफ्तार किया था जो 10 फरवरी तक ED की हिरासत में पूछताछ के लिये है.
ये मामला साल 2017 से जुड़ा है जब दिल्ली जल बोर्ड ने Supply, Installation, Testing and Commissioning (SITC) के टेंडर निकाले थे जो कि पांच साल के लिये थे. इसमें Electromagnetic Flow Meters थे जो साल 2017-19 से पांच सालों के लिये थे. इस टेंडर में M/s Metro Waste Handling Pvt Ltd और M/s Chetas Control System Pvt Ltd का ज्वाइंट वेंचर, Mechatronics Systems Pvt Ltd और M/s VR Management Services का ज्वाइंट वेंचर, M/s Recktronic Devices & Systems और M/s NKG Infrastructure Ltd शामिल हुयी थी.
सीबीआई ने साल 2021 में प्राथमिकी जांच में पाया था कि NKG Infrastructure Ltd ने मीटर के परफॉर्मेंस के फर्जी सर्टिफिकेट जमा किये थे जो कि NBCC के तत्तकालीन जनरल मैनेजर डी के मित्तल ने जारी किये थे. इस मामले में NBCC के प्रोजेक्ट एग्जक्युटिव भी शामिल थे. जांच में ये भी पता चला इस मामले की शिकायत M/s Mechatronics Systems Pvt Ltd और M/s V.R Management के ज्वाइंट वेंचर ने दिल्ली जल बोर्ड के तत्कालीन चीफ इंजीनियर जगदीश अरोड़ा को की थी. इसमें आरोप लगाया था की बाकी दोनों कंपनियां दिल्ली जल बोर्ड की तरफ से जारी जरूरी बातों का पालन नहीं करती है. इस शिकायत के बाद जगदीश अरोड़ा, सुशील कुमार गोयल और अनीरुद्ध दुबे के साथ बल्लभगढ़ में इन आरोपों की जांच के लिये पहुंचे. इस जांच के दौरान जो रिपोर्ट दी गयी उसमें साफ था कि NKG Infrastructure दिल्ली जल बोर्ड की तरफ से जारी जरूरी शर्तों को पूरा नहीं करती है. इसलिये इसका टेंडर रद्द होना चाहिए लेकिन बावजूद इसके NKG Infrastructure को ये टेंडर दिया गया.
आरोप ये है कि जगदीश अरोड़ा ने अशोक शर्मा, रंजीत कुमार, एस के गोयल और पी के गुप्ता के साथ मिल कर नयी नोट शीट बनायी और NKG Infrastructure को टेंडर जारी करने का आदेश दिया गया जोकि 38 करोड़ का था. इस मामले में जब ED ने अपनी जांच की तो पाया कि 38 करोड़ के टेंडर में सिर्फ 17 करोड़ रुपये खर्च किये गये और बाकी पैसों को फर्जी बिल बना खर्चें में दिखाया गया जिसका इस्तेमाल आम आदमी पार्टी को देने के लिये किया गया और चुनावों में इस्तेमाल हुआ.
इस मामले में एजेंसी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और पार्टी के कोषाध्यक्ष नारायण दास गुप्ता और दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व सदस्य शलभ कुमार के ठिकानों पर छापेमारी की. इस छापेमारी में एजेंसी ने 1.97 करोड़ रुपये कैश और चार लाख रूपये की विदेशी करंसी बरामद की है.