ग्लोबल वार्मिंग के बारे में तो आपने कई बार सुना होगा. अब यही ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसे खतरे का कारण बन सकती है जो पुरी दुनिया में लाखों करोड़ों लोगों की जान ले सकता है.
आपने साइबेरिया के बारे में जरूर सुना होगा. जहां पारा माइनस 50 डिग्री सेल्सियस के नीचे पहुंच जाता है. चारों तरफ बर्फ ही बर्फ दिखती है साइबेरिया में बर्फ की विशाल चादरें देखने में बड़ी संख्या में पर्यटक आते है. लेकिन इसी बर्फ के नीचे बहुत बड़ी तबाही छिपी है. बर्फ के नीचे कुछ ऐसे वायरस हैं जो करीब 48 हजार 500 वर्षों से के नीचे दबे पड़ें है.
इस पर एक्स मार्सिल यूनिवर्सिटी (AIX Marseille University) के जेनेटिक विशेषज्ञ जीन माइकल क्लेवेरी (Jean Michael Clavery) नाम के एक वैज्ञानिक ने शोध किया है. शोध में जो पता चला है वो पुरी दुनिया के लिए हैरान करने वाला है.
क्लेवरी के शोध के मुताबिक:
– साइबेरिया में 7 अलग-अलग साइटों से कई अलग-अलग वायरस स्ट्रेन्स का पता चला है.
– साइबेरिया की बर्फ के नीचे दबा एक वायरस करीब 48 हजार 500 वर्ष पुराना है.
– Arctic Permafrost में जमे वायरस एक बार फिर एक्टिव हो सकते है और महामारी का कारण बन सकते है.
– साइबेरिया में बर्फ तेज़ी से पिछलती रही है जिससे बर्फ के नीचे दबे जॉम्बी वायरस (Zombie Virus) बाहर आ सकते हैं और फिर से एक्टिव होकर महामारी का कारण बन सकते है.
क्यों कहा जा रहा है जॉम्बी वायरस
सवाल है कि इन वायरस को वैज्ञानिक जॉम्बी वायरस क्यों कहते है. आपने हॉलीवुड या बॉलीवुड फिल्मों में zombies को देखा होगा. इसके बारे में सुना भी होगा. जॉम्बी बहुत खतरनाक दिखते हैं. ठीक उसी तरह से ये जॉम्बी वायरस है. जैसे फिल्मों में जॉम्बी छिपे रहते है और फिर अटैक करते है. उसी तरह से साइबेरिया की बर्फ के नीचे जॉम्बी वायरस छिपे हुए है, जो एक्टिव होकर तबाही ला सकते है.
48 हजार 500 साल पुराना वायरस
इस शोध को रूस, फ्रांस और जर्मनी के वैज्ञानिकों ने मिलकर किया है. शोध के मुताबिक 48 हजार 500 वर्ष पुराने वायरस का नाम पैंडोरा वायरस येडोमा है. ये जमे हुए वायरस की उम्र के लिए नया रिकॉर्ड है.
इससे पहले साइबेरिया में ही पाए गए एक वायरस की उम्र 30 हजार वर्ष रिकॉर्ड की गई थी. ये वायरस भी पैंडोरा वायरस की ही तरह जिंदा था और दूसरे जीवों को संक्रमित करने में सक्षम था।
वैज्ञानिकों की शोध के बाद पता चला है कि इस खतरे की सबसे बड़ी वजह ग्लोबर वार्मिंग है जिसकी वजह से साइबेरिया में बर्फ तेज़ी से पिघल रही है.
साइबेरिया की बर्फ के नीचे दबे जॉम्बी वायरस पर अभी तक जो शोध हुई है वो बड़े खतरे का इशारा कर रहे है. ये खतरा कितनी तेज़ी से बढ़ सकता है इसको जानने के लिए हमें साइबेरिया इलाके के बारे में भी जानना होगा.
रूस का साइबेरिया हमेशा बर्फ से ढका रहता है और इसी बर्फ के नीचे जॉम्बी वायरस दबा हुआ है. लेकिन जब तक ये बर्फ है, तभी तक इंसान सुरक्षित है.
बॉन यूनिवर्सिटी की रिसर्च के मुताबिक:-
– साइबेरिया में भयंकर गर्मी के कारण 1979 से 2000 तक तापमान में 6 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी हुई थी. यानि गर्मी तेज़ी से बढ़ी है. जिसकी वजह से बर्फ लगातार पिघल रही है.
– साइबेरिया में बर्फ़ इतनी तेज़ी से पिघली है कि हज़ारों वर्ष पहले मरे मैमथ जैसे जीवों के कंकाल अब सामने आ रहे हैं.
– बर्फ़ की मोटी परत के भीतर कैद ज़हरीली मीथेन गैस बाहर निकलने लगी है. जो तेज़ी से पिघलती बर्फ का एक बड़ा कारण बन रही है.
इनवायरोमेंट डिफेंस फंड की रिपोर्ट के मुताबिक, मीथेन गैस में पर्यावरण को 80 गुना ज्यादा गर्म करने की शक्ति है.
पिघल रहा है Permafrost?
Permafrost , ये शब्द आपके लिए बिल्कुल नया है. हो सकता है आपने इसके बारे में सुना भी ना हो. Permafrost दरअसल पृथ्वी की सतह पर या उसके नीचे स्थायी रूप से जमी हुई परत होती है. इसमें मिट्टी, बजरी और रेत होती है, ये बर्फ के साथ जमी रहती है.
जलवायु परिवर्तन की वजह से Permafrost तेजी से पिघल रहा है. और इसी वजह से 48 हजार 500 वर्षों से दबे जॉम्बी जैसे खतरनाक वायरस के बाहर आने का खतरा भी बढ़ा है.