चेले सफल तो गुरू की छाती चौडी हो जाती है। हरि प्रकाश
-विजय कुमार
नई दिल्ली, 9 अगस्त। किसी ने सच ही कहा है कि होनहार के होत चिकने पात, यह कहावत टोक्यों और पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले सुमित कुमार पर फिट बैठती है।
एक साधारण से घर में पैदा हुए सुमित वर्तमान में सोनीपत के रहने वाले है। लेकिन उन्होंने अपनी सारी षिक्षा और खेल की रणनीति दिल्ली में ही रहकर सीखी है। हाकी की शुरुआत उन्होंने दिल्ली के सरकारी स्कूल सुभाष नगर से की है। जिसके उपरांत वह क्नाट प्लेस स्थित दिल्ली में हाकी का गढ कहे जाने वाले युनियन ऐकेडमी स्कूल में आ गए। जहां उनको निखारने का काम साई कोच हरि प्रकाश ने किया। हरि प्रकाष ने बताया कि वह षुरू से ही मेहनती खिलाडी रहा है। उसने दिल्ली स्कूल की तरफ से अंडर 14, 19 जैसे टूर्नामेंटों मैं पदक जीते है। यहीं नहीं एक बार वह अंडर 21 के हाकी टूर्नामेंट में उनको खिलाने के लिए पुणे ले गए थे। उस दौरान तत्कालीन चयनकर्ताओं से मैंने नाराजगी मोल ले ली थी क्यों सुमित उस समय मात्र 16 साल के थे। मगर उसने वहां ऐसा खेल दिखाया कि सभी चयन करताओ ने दिल्ली पहुंचने पर सुमित को गले लगा लिया। यहीं से उसका भारतीय टीम में खेलने का सफर शुरू हो गया। उसके बाद वह सोनीपत के एसटीसी सेंटर मैं चला गया। जिसके बाद पीछे मुड कर नहीं देखा।
-मिडफील्ड में खेलने वाले सुमित टोक्यों ओलंपिक कांस्य पदक टीम का भी हिस्सा रहें है, और अब दूसरी बार पेरिस ओलंपिक में कांस्य अपने नाम कर देश को गौरव दिलाने का काम किया। सुमित जब भी दिल्ली आता है तो वह ने नेशनल स्टेडियम पर हाकी के अपने कोच हरि प्रकाश से जरूर मिलता हैै। हरि प्रकाश ने कहा सुमित मेहनत से कभी नहीं कतराता था। ऐसा कई बार हुआ है कि उसने अतिरिक्त मेहनत की और वह उनके ही घर पर सो जाता था। सुमित को साल 2021 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
-कोच हरि प्रकाश को भले ही सरकार ने द्रोणाचार्य पुरस्कार देना उचित नहीं समझा हो। मगर उनके शिष्य जरूर द्रोणाचार्य और अर्जुन पुरस्कार पाने में सफल रहे है। पूर्व भारतीय हाकी कोच हरेन्द्र सिंह को द्रोणाचार्य पुरस्कार मिल चुका है। वह भी हरि प्रकाश के ही षिष्य रहें है।
-कोच हरि प्रकाश ने बताया उनकी अकादमी के सभी खिलाडी सुमित के दिल्ली पहुंचने का इंतजार कर रहें है ताकि वह अपने आइडियल खिलाडी के साथ रूबरू होकर उसका सम्मान कर सके।