महाराष्ट्र के अमरावती में 21 जून 2022 की रात मेडिकल शॉप चलाने वाले उमेश कोल्हे की बीच सड़क पर गला काटकर हत्या कर दी गई। 54 साल के उमेश की न किसी से दुश्मनी थी, न रंजिश। ये वो वक्त था, जब BJP की प्रवक्ता नूपुर शर्मा की पैंगबर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर बवाल चल रहा था।
छानबीन में सामने आया कि उमेश कोल्हे ने भी नूपुर के समर्थन में दोस्तों के एक वॉट्सऐप ग्रुप में पोस्ट सेंड कर दी थी। यहीं से तार जुड़ते गए, पुलिस ने जांच शुरू की जो ATS से होते हुए NIA के पास आई। जांच में सामने आया कि उमेश के 16 साल पुराने डॉक्टर दोस्त यूसुफ ने ही 10 और लोगों के साथ मिलकर इस कत्ल की साजिश रची थी।
‘गुस्ताख-ए- नबी की एक सजा, सर तन से जुदा-सर तन से जुदा’ NIA ने भी इस नारे का अपनी चार्जशीट में जिक्र किया है। यही वो मोटिवेशन था, जिसकी वजह से इन 11 लोगों ने उमेश के मर्डर की साजिश रची। NIA ने शुक्रवार यानी 16 दिसंबर को कोर्ट में चार्जशीट दायर की है। ये चार्जशीट भास्कर के पास है, इसके मुताबिक सिर्फ एक पोस्ट का बदला लेने के लिए उमेश की हत्या की गई।
यूसुफ और उमेश कोल्हे एक-दूसरे को 16 साल से जानते थे। वह उमेश की मेडिकल शॉप से ही दवाइयां खरीदता था। यूसुफ को बहन की शादी के लिए मदद की जरूरत पड़ी, तो उमेश कोल्हे ने ही उसे सहारा दिया था। यूसुफ तब्लीगी जमात से जुड़ा था। उसने ही सबसे पहले उमेश के मैसेज का स्क्रीन शॉट दूसरे ग्रुप में सर्कुलेट किया। बाकी 10 आरोपी भी तब्लीगी जमात के मेंबर हैं।
इस मामले को शुरुआत से समझते हैं…
26 मई 2022 को एक न्यूज चैनल पर डिबेट चल रही थी। उसी दौरान BJP की प्रवक्ता रहीं नूपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ विवादित टिप्पणी कर दी। देश भर में इसके खिलाफ गुस्सा भड़क गया। इसका असर दिल्ली से करीब 1100 किमी दूर अमरावती में दिखने लगा। नूपुर का ये वीडियो सोशल मीडिया ग्रुप में सर्कुलेट होने लगा।
8 जून को इरफान खान और मौलाना मुशिफिक अहमद के साथ कुछ लोग नूपुर शर्मा के खिलाफ FIR दर्ज कराने नागपुरी गेट पुलिस स्टेशन पहुंचे। पुलिस ने उनकी FIR दर्ज नहीं की, क्योंकि दिल्ली, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र के ही दूसरे जिलों में इस मामले में पहले ही केस दर्ज हो चुके थे। इरफान और मुशिफिक पुलिस की इस दलील से संतुष्ट नहीं हुए।
9 जून को दोनों ने नूपुर शर्मा पर FIR और 10 जून को बुलाए गए भारत बंद के बारे में एक वॉट्सऐप ग्रुप ‘मीटिंग ओनली’ के जरिए मीटिंग बुलाई। इसमें काफी डिस्कशन के बाद तय हुआ कि मुस्लिम समुदाय के लोग न तो केस दर्ज कराएंगे और न ही भारत बंद में शामिल होंगे। इरफान खान, मुशिफिक, शेख शकील और उनके साथी इस फैसले से खुश नहीं थे।
उमेश कोल्हे ‘अमित मेडिकल’ के नाम से वेटरनरी मेडिसिन की शॉप चलाते थे। उनकी हत्या में आरोपी बनाया गया यूसुफ खान उनके यहां दवाइयां लेने आता था। दोनों ‘ब्लैक फ्रीडम’ नाम के एक वॉट्सऐप ग्रुप में जुड़े थे। यूसुफ खान इस ग्रुप का इकलौता मुस्लिम मेंबर था और उमेश कोल्हे ग्रुप के एडमिन।
14 जून को उमेश कोल्हे ने इसी ग्रुप में नूपुर शर्मा के समर्थन में उनकी फोटो के साथ एक मैसेज पोस्ट किया। यूसुफ ने भी यह पोस्ट देखा और उसका स्क्रीन शॉट लेकर उमेश का मोबाइल नंबर, मेडिकल शॉप का पता और एक मैसेज के साथ कई वॉट्सऐप ग्रुप में सर्कुलेट कर दिया। मैसेज में लिखा था कि इसका अंजाम इसको दिखाना है। यह मैसेज ‘कलीम इब्राहिम वॉट्सऐप ग्रुप’ में भी शेयर किया गया। मामले का मुख्य आरोपी इरफान खान इसी ग्रुप से जुड़ा था।
यूसुफ खान ने इस बारे में आतिब रशीद से भी बात की। आतिब उसका क्लाइंट था। 18 जून को आतिब रशीद अपने साथी मोहम्मद शोएब से मिला। दोनों में उमेश कोल्हे के बारे में बात हुई। इसके बाद आतिब ने इरफान खान से भी बात की। इरफान भी ‘कलीम इब्राहिम’ ग्रुप से जुड़ा था, इसलिए उसे पूरा मामला पहले से पता था।
ये मैसेज उसे ‘हंसी मजाक’ नाम के एक अन्य ग्रुप पर भी मिला था, जिसे अब्दुल तौफीक शेख ने भेजा था। अब्दुल मुशिफिक अहमद, शेख शकील और मुदस्सिर अहमद के साथ पहले से नूपुर शर्मा के मामले में बहुत एग्रेसिव थे। आतिब रशीद और इरफान खान ने 19 जून को दोबारा गौसिया हॉल में मिलने की बात तय की। मोहम्मद शोएब के साथ शहीम अहमद नाम के शख्स को भी इसमें बुलाया गया।
4 आरोपी मिले और तय किया कि उमेश कोल्हे को ‘सजा’ देनी है
अगले दिन मोहम्मद शोएब, आतिब रशीद, इरफान खान और शहीम अहमद गौसिया हॉल में मिले और तय किया कि उमेश कोल्हे ने पैगंबर मोहम्मद की शान में गुस्ताखी की है। इसकी उसे सजा दी जानी चाहिए। मोहम्मद शोएब, आतिब रशीद और शहीम अहमद ने इसकी जिम्मेदारी ली।
इरफान ने कहा कि वह इसके लिए हर तरह की मदद देने को तैयार है। उसने तीनों से कहा कि वे मोबाइल लेकर न जाएं, ब्लैक टीशर्ट और ट्रैक पैंट पहनकर और चेहरा ढंककर जाएं, ताकि कोई उन्हें पहचान न सके। इस गैंग को इरफान ही लीड कर रहा था।
इसके बाद आतिब रशीद बाइक से मोहम्मद शोएब को उमेश कोल्हे की पहचान के लिए उसकी मेडिकल शॉप पर ले गया। दोनों उस जगह भी गए, जहां हत्या करना तय हुआ था।
जांच से पता चला है कि हत्या की पूरी साजिश मोहम्मद शोएब, आतिब रशीद, इरफान खान और शहीम अहमद ने रची। चारों को इसमें मुशिफिक अहमद का साथ मिला, जो मौलवी था। मुशिफिक, इरफान खान का करीबी भी है। ये दोनों नूपुर शर्मा के खिलाफ FIR न लिखे जाने से नाराज थे।
20 जून को मारने निकले, लेकिन उमेश नहीं मिले
20 जून 2022 की रात करीब 9:30 बजे मोहम्मद शोएब और शहीम अहमद बाइक से घंटाघर लेन पहुंचे, जहां उमेश कोल्हे को मारा जाना था। काफी इंतजार के बाद भी उमेश नहीं आए तो वे उन्हें देखने मेडिकल शॉप पहुंचे। शॉप बंद हो चुकी थी, इसलिए वे उमेश की हत्या नहीं कर पाए।
इसके बाद मोहम्मद शोएब और शहीम अहमद, आतिब रशीद से मिले और प्लान फेल होने के बारे में बताया। आतिब रशीद ने यही बात इरफान को और इरफान ने शाहरुख खां और अब्दुल तौफीक शेख को बताई। उन्हें कोल्हे की रेकी करने की जिम्मेदारी दी गई। इस तरह वे भी इस साजिश में शामिल हो गए।
21 जून को तीन लोगों ने रेकी की, तीन ने मर्डर
आतिब और इरफान के कहने पर 21 जून को मुदस्सिर अहमद, शाहरुख खां और अब्दुल तौफीक शेख रेकी के लिए उमेश कोल्हे की मेडिकल शॉप के पास पहुंचे। शाहरुख खां ऐसी जगह खड़ा हो गया, जहां से वह उमेश कोल्हे की लोकेशन देख सकता था। उसने गमछे से चेहरा ढंक रखा था। तीनों मोबाइल पर एक-दूसरे को उमेश की मूवमेंट के बारे में बताते रहे।
शाहरुख खां एक NGO ‘रहबर हेल्पलाइन’ की एम्बुलेंस चलाता था। अब्दुल तौफीक शेख भी रहबर हेल्पलाइन से जुड़ा था। मोहम्मद शोएब, आतिब रशीद, शहीम अहमद इसी के ऑफिस में मिले। उन्होंने अपने मोबाइल वहीं एम्बुलेंस में रख दिए, ताकि उनकी लोकेशन क्राइम सीन पर न मिले।
इसके बाद मोहम्मद शोएब, शहीम अहमद ने चाकू लिए और आतिब रशीद के साथ बाइक से निकल गए। तीनों ने उस रास्ते पर पोजिशन ले ली, जहां से उमेश गुजरने वाले थे। उमेश कोल्हे अपनी शॉप बंद कर रात 10:20 बजे घंटाघर लेन पहुंचे। तीनों ने उन्हें रोक लिया। उन्हें घुटनों पर बिठाया और मोहम्मद शोएब ने चाकू से उमेश का गला काट दिया।
शहीम अहमद भी चाकू निकालने वाला था, तब तक उमेश के बेटे और बहू वहां आ गए। दोनों ने शोर मचाया तो शोएब और शहीम बाइक से भाग गए। उमेश के बेटे-बहू ने तीन आरोपियों को भागते देखा था। वे इस घटना के चश्मदीद गवाह हैं। दोनों उमेश को पास के हॉस्पिटल ले गए, तब तक उनकी मौत हो चुकी थी।
हमले के बाद पता करते रहे कि उमेश जिंदा है या नहीं
इस दौरान शेख शकील उमेश कोल्हे के बारे में अपडेट लेता रहा। इरफान खान के कहने पर अब्दुल अरबाज, ये पता करने हॉस्पिटल गया कि उमेश कोल्हे जिंदा है या नहीं। मौत की जानकारी मिलते ही सभी आरोपियों ने जश्न के तौर पर पार्टी की।
NIA के मुताबिक 11 में से किसी आरोपी की उमेश कोल्हे से दुश्मनी या रंजिश नहीं थी। वे सिर्फ नूपुर शर्मा के समर्थन में पोस्ट करने का बदला लेना चाहते थे। हत्या का मकसद सिर्फ लोगों में दहशत फैलाना था। सभी आरोपी एक-दूसरे को पहले से जानते थे और उनमें लगातार मोबाइल पर बात हो रही थी।
मोहम्मद शोएब ने गला काटने की प्रैक्टिस की थी
चार्जशीट के मुताबिक उमेश कोल्हे का गला चाकू से काटने वाले मोहम्मद शोएब ने इसके लिए प्रैक्टिस भी की थी। अमरावती के सेंट्रल हॉस्पिटल की ओर से 22 जून 2022 को जारी पोस्टमॉर्टम के मुताबिक उमेश कोल्हे के गले पर कई गहरे घाव मिले थे। उनकी दिमाग और आंखों की नसें भी डैमेज हो गई थीं।
मर्डर के बाद शोएब ने उसी गौसिया हॉल में चाकू छिपा दिया, जहां मर्डर की प्लानिंग की गई थी। हत्या के बाद वह शहीम अहमद के साथ अमरावती से भाग गया था।
नूपुर शर्मा का समर्थन करने वाले कई लोगों को धमकी मिली थी…
इसी दौरान नूपुर शर्मा के समर्थन में कई लोग सोशल मीडिया पर पोस्ट करने लगे। ऐसे करीब 10 लोगों को फोन पर धमकी मिली थी। इनमें से एक थे अमरावती के डॉ. श्रीगोपाल राठी। उन्होंने नूपुर शर्मा के समर्थन में वॉट्सऐप स्टेटस लगाया था।
9 जून को उनके पास अनजान नंबर से फोन आया। कॉलर ने अपना नाम राजिक मिर्जा बेग बताया और वॉट्सऐप स्टेटस नहीं हटाने पर बुरे अंजाम की धमकी दी। उनकी बातचीत सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। कॉलर ने डॉ. राठी से कहा कि वे माफी मांगते हुए अपना वीडियो बनाएं और उसे वॉट्सऐप स्टेटस पर लगाएं।
11 जून को डॉ. राठी ने एक वीडियो बनाकर फेसबुक पर अपलोड किया और राजिक मिर्जा को भेजा। डॉ. राठी ने ये वीडियो अपने असिस्टेंट डॉ. जमिन को भी भेजा और कहा कि इसे अपनी कम्युनिटी में सर्कुलेट कर दें। इसके बाद राजिक मिर्जा बेग ने भी माफीनामे वाले वीडियो को वायरल किया। इस घटना के बाद पुलिस ने डॉ. राठी के हॉस्पिटल के बाहर पेट्रोलिंग बढ़ाकर उन्हें अलर्ट रहने की हिदायत दी थी।
10 जून को मोबाइल शॉप चलाने वाले जय कुमार को ग्रुप फोन कॉल पर धमकी दी गई। जय कुमार को धमकाने का आरोप मुदस्सिर अहमद और शेख शकील और बाबा नाम के शख्स पर था। इसकी भी रिकॉर्डिंग सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी।
12 जून 2022 को अमरावती के विशाल बाहद ने फेसबुक पर नूपुर शर्मा के समर्थन में पोस्ट किया था। ये पोस्ट उनके नाम, फोटो, पते और मोबाइल नंबर के साथ वायरल कर दी गई। उमेश कोल्हे की हत्या में आरोपी मुदस्सिर अहमद ने विशाल को भी फोन कर धमकी दी। इसके बाद विशाल ने अपना मोबाइल बंद कर लिया, फेसबुक अकाउंट डिलीट किया और जॉब से 15 दिन की छुट्टी लेकर अमरावती से बाहर चले गए।
छुट्टियों के बाद वे वापस आए तो पता चला कि उमेश कोल्हे की हत्या हो गई है। इसके बाद उन्होंने 5 साल पुरानी नौकरी से इस्तीफा दिया और घर लौट गए। इसके बाद विशाल और उनके परिवार वाले डर की वजह से एक महीने तक घर से नहीं निकले। उमेश कोल्हे की हत्या में आरोपी शेख शकील को इस मामले में 9 जून को अरेस्ट किया गया था। 15 दिन के लिए अमरावती छोड़ने की शर्त पर उसे छोड़ दिया गया।
उमेश की हत्या के 6 दिन बाद 28 जून को राजस्थान के उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल की हत्या की गई थी। कन्हैया ने भी नूपुर शर्मा के समर्थन में पोस्ट की थी। इसका बदला लेने के लिए दो युवक मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद कपड़ा सिलवाने के बहाने आए और कन्हैया का मर्डर कर दिया।
150 देशों में तब्लीगी जमात के मेंबर
उमेश हत्याकांड के आरोपी तब्लीगी जमात से जुड़े हैं।1927 में बना तब्लीगी जमात सुन्नी मुसलमानों का सबसे बड़ा संगठन है। इसकी शुरुआत हरियाणा के मेवात में मुहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने एक धार्मिक सुधार आंदोलन के तौर पर की थी। तब्लीगी जमात से 150 देशों के लगभग 35 करोड़ लोग जुड़े हैं। इनमें से 25 करोड़ लोग दक्षिण एशियाई देशों से हैं। इसका हेड क्वार्टर दिल्ली के निजामुद्दीन में है।
आतंक फैलाने के आरोप में उज्बेकिस्तान, कजाखस्तान और ताजिकिस्तान में इस पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। 2011 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए आतंकी हमले के बाद अमेरिका ने तब्लीगी जमात को निगरानी सूची में रखा था।