उत्तराखंड विधानसभा ने बुधवार को ऐतिहासिक कदम उठाते हुए समान नागरिक संहिता यानि कि यूनिफॉर्म सिविल कोड विधेयक पारित कर दिया है. आजाद भारत में उत्तराखंड ऐसा करने वाला पहला राज्य बन गया है. यह विधेयक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा सभी नागरिकों के लिए उनके धर्म की परवाह किए बिना एक समान विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानून स्थापित करने के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया था.
इससे पहले विधेयक को लेकर विधानसभा में जोरदार बहस हुई और बुधवार को भी इस पर चर्चा जारी रही. विपक्षी दलों के सदस्यों ने पहले इस विधेयक को सदन की प्रवर समिति को भेजे जाने की मांग की. हालांकि इसके बाद विधानसभा में इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया गया है. इस तरह उत्तराखंड ने इतिहास रच दिया है.
सभी धार्मिक समुदायों के लिए समान कानून!
धामी सरकार ने यूसीसी पर कानून पास करने के लिए विधानसभा का स्पेशल सेशन बुलाया था. यूसीसी में शादी, तलाक, विरासत, गोद लेने और अन्य मामलों से संबंधित सभी धार्मिक समुदायों के लिए समान कानून शामिल हैं. इस ड्राफ्ट को तैयार करने के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया था. रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अगुआई वाली पांच सदस्यीय समिति ने बीते शुक्रवार को ही अपनी रिपोर्ट सीएम पुष्कर सिंह धामी को सौंपी थी. इसी रिपोर्ट के आधार पर विधानसभा से पास होने के बाद यह कानून बन गया है.
क्या बोले सीएम धामी
विधानसभा में सीएम धामी ने कहा कि यह कोई साधारण विधेयक नहीं है बल्कि भारत की एकात्मा का सूत्र है. हमारे संविधान शिल्पियों ने जिस अवधारणा के साथ हमारा संविधान बनाया था, देवभूमि उत्तराखंड से वही अवधारणा धरातल पर उतरने जा रही है. उन्होंने इसे ऐतिहासिक विधेयक बताया. उन्होंने कहा कि वास्तव में देव भूमि उत्तराखंड का सौभाग्य है जो यह अवसर मिला है. भारत में कई बड़े प्रदेश हैं लेकिन यह अवसर उत्तराखंड को मिला है. हम सब इस बात को लेकर गौरान्वित हैं कि हमें इतिहास लिखने का अवसर मिला है.