ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट पाकिस्तान के लिए संकट बनता जा रहा है। अगर पाकिस्तान इस प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ता है तो अमेरिका के प्रतिबंध का खतरा है। ऐसे में अगर पाकिस्तान पीछे हटता है तो उस पर 18 अरब डॉलर के भारी जुर्माने का खतरा मंडरा रहा है, जो उसके मौजूदा विदेशी मुद्रा भंडार का तीन गुना है।
ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी इस समय पाकिस्तान की यात्रा पर हैं। वह पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के निमंत्रण पर पाकिस्तान पहुंचे हैं। इस यात्रा से सुरक्षा सहयोग से लेकर मुक्त व्यापार समझौते तक कई मुद्दों पर व्यापक चर्चा होने की उम्मीद है। दोनों नेताओं की मुलाकात के दौरान सबसे महत्वपूर्ण चर्चा लंबे समय से प्रतीक्षित पाकिस्तान-ईरान गैस पाइपलाइन को लेकर होनी है। पाकिस्तान अगर ईरान के साथ गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट को पूरा करता है तो उसे अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना होगा, वहीं नहीं करता है तो उसे 18 अरब डॉलर का भारी भरकम जुर्माना भी भरना पड़ेगा। ऐसे में पाकिस्तान के लिए यह गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट आगे कुआं, पीछे खाई जैसे हो गया है। हाल में ही अमेरिका ने पाकिस्तानी बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम से जुड़ी चार विदेशी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाकर अपनी मंशा भी साफ कर दी है।
संकट के बीच पाकिस्तान पहुंचे ईरानी राष्ट्रपति
ईरानी राष्ट्रपति रायसी ऐसे वक्त में पाकिस्तान पहुंचे हैं, जब उनका देश इजरायल से गंभीर संकट का सामना कर रहा है। पिछले हफ्ते के आखिर में ईरान ने दमिश्क में अपने वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले का बदला लेते हुए इजरायल पर मिसाइलों और ड्रोन की बारिश कर दी थी। दमिश्व वाले हमले में ईरान के विशिष्ट इस्लामिक रेवोल्यूशन गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के वरिष्ठ कमांडर मोहम्मद रज़ा ज़ाहेदी और मोहम्मद हादी हाजी रहीमी की जान चली गई थी। तभी से ईरान की जवाबी कार्रवाई की आशंका जताई जा रही थी। अब इसके बाद चंद दिनों पहले इजरायल ने भी ईरान के इस्फहान शहर के पास सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाकर हवाई हमले किए थे। हालांकि, ईरान ने इजरायली जवाबी हमले को ज्यादा तवज्जो नहीं दी