उत्तराखंड के उत्तरकाशी के इस सुरंग में 40 मजदूरों की सांस अब रेस्क्यू टीम के हाथों में है. जितनी देरी हो रही है. सांसों की डोर छूटने की आशंका उतनी ही ज्यादा बढ़ रही है. जब पूरा देश दिवाली के जश्न में डूबा हुआ था. हर तरफ रोशनी और पटाखे और खुशियां मनाई जा रही थीं. उसी वक्त उत्तरकाशी में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरासू और बडकोट के बीच बन रहे इस टनल में पहाड़ टूटकर गिर गया. ये टनल ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट का हिस्सा है.
4.5 किलोमीटर की टनल
टनल की लंबाई 4.5 किलोमीटर है. सुरंग के मुख्य द्वार से 200 मीटर की दूरी पर भूस्खलन हुआ है. जबकि सुरंग में जो मजदूर काम कर रहे थे वे 2800 मीटर अंदर हैं. 200 मीटर तक सुरंग पक्की है. जबकि उसके आगे सीमेंट का काम नहीं हुआ है.
रेस्क्यू टीम के सामने कई समस्या
फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू में NDRF और SDRF की टीम लगी हुई है. लेकिन उन मजदूरों तक पहुंचना ही रेस्क्यू टीम के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. रेस्क्यू और आदपा प्रबंधन टीम के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि पहाड़ का हिस्सा कैसे काटकर हटाया जाए? इसके अलावा पहाड़ से मलबा लगातार गिर रहा है. जितना मलबा हटाया जा रहा है, उतना ही मलबा ऊपर से फिर से नीचे गिर जा रहा है.
मजदूर अभी जिंदा हैं
गनीमत ये है कि टनल में फंसे मजदूर अभी जिंदा हैं. उनसे संपर्क भी हो रहा है. मजदूरों तक पाइप के जरिए ऑक्सीजन और खाने की सप्लाई हो रही है. मजदूरों को पाइप से ही पानी दिया जा रहा है. हादसे के 30 घंटे बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी घटनास्थल पर पहुंचे. उत्तराखंड टनल हादसे के बाद सीएम धामी ने मौके पर पहुंचकर फंसे मजदूरों से बात की. उत्तराखंड सरकार ने अगले 24 से 48 घंटे में मजदूरों को बाहर निकालने का दावा किया है.
चली गई थी 20 लोगों की जान
यमुनोत्री में जिस नवयुग इंजनीयिरिंग कंपनी को टनल बनाने का टेंडर दिया गया था, उसका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा रहा है. इसी साल अगस्त में महाराष्ट्र के ठाणे में समृद्धि हाईवे पर पुल के निर्माण के दौरान गर्डर गिर गया था. उस वक्त हादसे में 20 लोगों की जान चली गई थी. नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी के खिलाफ IPC की धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का केस भी दर्ज हुआ था.