पश्चिम बंगाल में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ दरिंदगी के खिलाफ लोगों ने 13 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनाकर अपना विरोध दर्ज कराया है। वहीं एक दूसरी रैली में पुलिस और वामपंथी कार्यकर्ताओं के बीच हाथापाई की भी घटना हुई है।
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में दरिंदगी की शिकार हुई महिला डॉक्टर के लिए न्याय की मांग करते हुए निजी अस्पतालों के डॉक्टरों और पैरामेडिक्स समेत हजारों लोगों ने शहर की मुख्य सड़क पर 13 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनाई है। बता दें कि मानव श्रृंखला में शामिल लोगों ने शहर के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों को जोड़ने वाले उल्टाडांगा और पाटुली के बीच पूर्वी मेट्रोपॉलिटन बाईपास के बीच डिवाइडर पर खड़े रहकर विरोध दर्ज कराया।
तिरंगा और तख्तियां लेकर किए प्रदर्शन
मामले में एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि चूंकि प्रदर्शनकारियों ने शाम 5 बजे से सड़क पर अपने एक घंटे के प्रदर्शन के दौरान क्रॉसिंग को बाधित नहीं किया, इसलिए आंदोलन के इस तरीके से व्यस्त सड़क पर वाहनों की आवाजाही प्रभावित नहीं हुई। इस दौरान सभी लोगों ने तिरंगा लहराया और ‘हमें न्याय के लिए कब तक इंतजार करना होगा’, ‘बलात्कारियों को फांसी दो’ और ‘हमारी बहन के लिए न्याय’ लिखी तख्तियां पकड़े रखी थी।
पुलिस से भिड़े वामपंथी कार्यकर्ता
इस बीच, वाम मोर्चा कार्यकर्ताओं ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक डॉक्टर के दुष्कर्म और हत्या मामले को कथित रूप से गलत तरीके से संभालने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग करते हुए एक रैली में हिस्सा लिया। वहीं अस्पताल के पास श्यामबाजार में प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की तरफ से लगाए गए बैरिकेड्स को तोड़ दिया।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा
जिसके बाद पुलिस ने वाम मोर्चा के घटक दलों के छात्र और युवा इकाइयों के सदस्यों से युक्त प्रदर्शनकारियों को खदेड़ दिया। इसके बाद वाम मोर्चा के अध्यक्ष बिमान बोस, वरिष्ठ माकपा नेता सुजान चक्रवर्ती और अन्य वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व में रैली में शामिल लोगों ने राजाबाजार ट्राम डिपो से श्यामबाजार तक तीन किलोमीटर तक प्रदर्शन किया। सीपीआईएम के युवा मोर्चा डीवाईएफआई की नेता मीनाक्षी मुखर्जी ने कहा कि पुलिस आयुक्त को हजारों प्रदर्शनकारियों से बचने के लिए लालबाजार पुलिस मुख्यालय से पिछले दरवाजे से निकलना पड़ा, क्योंकि प्रशासन अब जनता के विद्रोह से डर गया है।