आजकल के असंतुलित खानपान और लाइफस्टाइल की वजह से अल्सरेटिव कोलाइटिस काफी आम समस्या बन चुकी है। अल्सरेटिव कोलाइटिस आंत में होने वाली बीमारी है। इसमें बड़ी आंत के मलाशय और मलनाली में अल्सर यानी छाले हो जाते हैं। इसकी वजह से इसमें लंबे समय तक जलन और सूजन की समस्या हो सकती है।
इस बीमारी में बॉडी का इम्यून सिस्टम बाहरी रोगाणुओं की बजाय वह बड़ी आंत के ऊपर ही आक्रमण करने लगता है। इस बीमारी के मरीज़ को जीवन भर दवा खानी पड़ सकती है और कई बार यह बीमारी जीवन के लिए खतरा भी बन सकती है। हालांकि समय रहते इसका इलाज किया जाए तो इससे छुटकारा पाया जा सकता है।
एलोपैथी में, अल्सरेटिव कोलाइटिस का इलाज इम्यूनोसप्रेजेंट्स, कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स और एनाल्जेसिक के साथ लक्षणात्मक रूप से किया जाता है। लेकिन इन दवाओं के कई प्रतिकूल प्रभाव होते हैं जो शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। अल्सरेटिव कोलाइटिस के एलोपैथिक इलाज से लम्बे समय के लिए लक्षणों से छुटकारा तो पाया जा सकता है लेकिन स्थायी समाधान नहीं मिल पाता। कई बार गंभीर स्थिति होने पर सर्जरी करना पड़ सकती है।
आयुर्वेद में है अल्सरेटिव कोलाइटिस का सटीक इलाज
आयुर्वेद में, सभी रोग त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ के असंतुलन के कारण होते हैं। आयुर्वेद में अल्सरेटिव कोलाइटिस को रक्ततिसार के साथ जोड़ा जाता है। आयुर्वेद में, अल्सरेटिव कोलाइटिस का इलाज जड़ी बूटियों से किया जाता है। इसमें आहार और जीवनशैली में बदलाव के साथ पर्याप्त परहेज को भी शामिल किया जाता है। खास बात ये है कि इन आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। इनसे शरीर का इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है और अन्य रोगों से लड़ने में भी मददगार साबित होता है।