विजय कुमार
नई दिल्ली,7 दिसंबर।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अमृत महोत्सव वर्ष में आयोजित 69वें राष्ट्रीय अधिवेशन की भव्य व विशाल प्रदर्शनी का उद्घाटन आज विद्यार्थी परिषद के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व महामंत्री रहे डॉ. राजकुमार भाटिया द्वारा दत्ताजी डिडोलकर द्वारा किया गया।
आठ थीमों पर आधारित और 9 सेक्शन में रची इस प्रदर्शनी को देशभर के अलग-अलग शैक्षणिक संस्थानों के विद्यार्थियों द्वारा बनाया गया है। प्रदर्शनी में शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350 वीं वर्षगांठ पर उनकी शौर्यगाथा, विश्वगुरु भारत, स्वाधीनता का अमृत महोत्सव, अभाविप के विभिन्न आयामों और गतिविधियों द्वारा किये जा रहे कार्यों, दिल्ली का वास्तविक इतिहास, दिल्ली में हुए प्रमुख छात्र आंदोलन एवं अभाविप के 75 वर्षों की ध्येय यात्रा को प्रदर्शित करने का प्रयास किया गया है।
अभाविप के संस्थापक सदस्य व पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे दत्ताजी डिडोलकर के नाम पर इस प्रदर्शनी का नाम रखा गया है।
दत्ताजी का जीवन देश व युवाओं के उत्थान एवं शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के प्रति समर्पित रहा है। संघ के प्रचारक होने के साथ उन्होंने भारत की संस्कृति को जागृत रखने के विभिन्न प्रयासों में सक्रिय योगदान दिया है। इससे प्रेरणा लेते हुए अभाविप की प्रदर्शनी में भारत के गौरवशाली इतिहास और विश्व को दिशा देने के संदर्भ को उल्लेखित करते हुए अमृतकाल की वर्तमान उपलब्धियों को भी दर्शाया गया है। साथ ही यह प्रदर्शनी अभाविप के विभिन्न क्रियाकलापों के द्वारा राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के ध्येय को स्पष्ट एवं लघु भारत का दर्शन कराती है।
प्रदर्शनी के उद्घाटनकर्ता डॉ. राजकुमार भाटिया ने कहा कि दत्ताजी परिषद के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण हैं। अभाविप का दिल्ली में आयोजित 1971 का राष्ट्रीय अधिवेशन मुझे स्मरण हो रहा है, जिसमें दत्ताजी अध्यक्ष और मैं महामंत्री निर्वाचित हुआ। आज उनको समर्पित प्रदर्शनी का उद्घाटन करने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है। ऐसे लोग जिन्होंने समाज को अपना जीवन समर्पित किया है उन्हें सँजोए रखना भावी पीढ़ियों का दायित्व है। दत्ताजी, यशवंतराव केलकर, मदनदास देवी जैसे लोग हमारी धरोहर हैं। उनके मार्गदर्शन में सिंचित अभाविप रूपी पौधा आज विशाल वटवृक्ष बनकर युवाओं को दिशा दे रहा है। यह प्रवाहमान युवाओं का चलने वाला अविरत संगठन है।