गाजियाबाद में ऑनलाइन गेमिंग के जरिए धर्म परिवर्तन का मामला सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने सभी गेमिंग ऐप का रिव्यू करने का फैसला लिया है। केंद्रीय IT राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा- भारत में तीन टाइप के गेम्स पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। ऑनलाइन सट्टा खिलाने वाले ऐप भी बंद होंगे। इसके लिए नियमों का ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है।
हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि गेम्स का क्लासिफिकेशन कैसे होगा।
गाजियाबाद पुलिस ने पकड़ा था धर्मांतरण सिंडिकेट
ऑनलाइन गेम खिलाने की आड़ में चल रहे धर्मांतरण सिंडिकेट में गाजियाबाद पुलिस ने हाल ही में कार्रवाई की थी। इस सिंडिकेट के मुख्य आरोपी माने जा रहे खान शहनवाज मकसूद उर्फ बद्दो को गाजियाबाद पुलिस ने रविवार को महाराष्ट्र के ठाणे जिले से गिरफ्तार किया था। बद्दो के खिलाफ 30 मई को गाजियाबाद के कविनगर थाने में FIR हुई थी।
धर्मांतरण के थे तीन स्टेप, पूरा गेम समझिए…
DCP निपुण अग्रवाल ने बताया- पुलिस ने इस केस में तीन पीड़ित बच्चों से पूछताछ की है। इसमें पता चला है कि धर्मांतरण के तीन स्टेप थे।
- फर्स्ट स्टेप में एक ऐसा गैंग एक्टिव था जो अन्य धर्मों के नाम से ID बनाकर मोबाइल-कम्प्यूटर पर Fort Nite ऐप पर गेम्स खेलता था। अगर कुछ लड़के गेम हार जाते थे तो उन्हें कुरान की आयत पढ़वाई जाती थी और फिर उन्हें गेम जिताकर कुरान पर भरोसा दिलाया जाता था।
- सेकेंड स्टेप में Discord App के द्वारा मुस्लिम लड़के हिंदू नाम की यूजर आईडी बनाकर हिंदू लड़कों से चैटिंग करते थे। उन्हें इस्लामिक रीति-रिवाज अपनाने के लिए बहलाते थे।
- थर्ड स्टेप में वे प्रतिबंधित इस्लामिक प्रवक्ता जाकिर नाईक के कुछ वीडियो स्पीच सुनाकर इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित करते थे। साथ ही वे इस्लामिक कल्चर और रीति-रिवाज के संबंध में सारी जानकारी उपलब्ध कराते थे।
मंत्री ने कहा- तीन प्रकार के गेम्स होंगे बैन
- गेम्स जिसमें सट्टेबाजी शामिल है
- गेम्स जो हानिकारक हो सकते हैं
- गेम्स जिनकी लत लग सकती है
पहली बार तैयार किया ऑनलाइन गेमिंग फ्रेमवर्क
मंत्री ने कहा, पहली बार हमने ऑनलाइन गेमिंग को लेकर एक फ्रेमवर्क तैयार किया है, जिसमें हम देश में 3 प्रकार के गेम्स की अनुमति नहीं देंगे। वर्तमान में गूगल का प्ले स्टोर और एपल का ऐप स्टोर दो प्रमुख एप्लिकेशन स्टोर हैं जो नई घोषणा से प्रभावित होंगे।
यूजर को बांधे रखने के लिए डिजाइन किए जाते हैं गेम्स
ज्यादातर गेम्स को साइकोलॉजी का इस्तेमाल करके आपको बांधे रखने के लिए ही डिजाइन किया जाता है। मनोवैज्ञानिक बताते हैं कि इन गेम्स की लत इसलिए लग जाती है क्योंकि इनका एक्सेस यूजर के हाथों में होता है। वह खाते-पीते हुए यहां तक कि बाथरूम में बैठकर भी खेल को जारी रखता है। कई उदाहरण ऐसे भी सामने आए हैं कि लोग काम के दौरान भी ऐसे गेम खेलते हैं और अपनी नौकरी गंवा देते हैं।
2 मामलों से समझते हैं कि कितनी खतरनाक है ऑनलाइन गैम्बलिंग…
केस-1 – भोपाल का 37 साल का युवक अमेरिका में इंजीनियर था। किसी कारण कुछ समय पहले वह भोपाल आ गया। कोविड में लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन गैम्बलिंग की लत लग गई। वह मोबाइल पर तीन पत्ती खेलने लगा। शुरुआत में तो फायदा हुआ। इससे उसका लालच बढ़ता गया। फिर धीरे-धीरे जाल में फंसता चला गया। वह परेशानियों में घिरने लगा।
नींद में बदलाव आने लगा। स्वभाव चिड़चिड़ा हो गया। घरवालों ने डेली रुटीन में बदलाव महसूस किया। करीब डेढ़ महीने से उसकी काउंसिलिंग हो रही है। उसने 6-7 साल में करीब 40 लाख रुपए गंवा दिए हैं। इसके अलावा एक 23 साल का युवा भी गेम की लत में पड़ गया। उसकी भी काउंसिलिंग की जा रही है।
केस-2 – सिंगरौली का सनत अपने नाना का लाडला था। नाना ने बुढ़ापे के लिए पाई-पाई जोड़कर बैंक में कुछ लाख रुपए जमा किए थे। एक दिन उन्हें पता चला कि बैंक से साढ़े आठ लाख रुपए किसी ने उनके नाम पर निकाल लिए हैं। जांच की तो पता चला कि ऑनलाइन जुए (गैम्बलिंग) की लत के चलते सनत ने ही फर्जी तरीके से खाते से पैसे निकाले थे। सारे पैसे वो ऑनलाइन गेम में हार गया फिर जेल जाना पड़ा।