UN के हेडक्वार्टर में बुधवार को PM नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हुए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के कार्यक्रम में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बना। दुनिया में पहली बार एक साथ 135 देशों के प्रतिनिधियों ने योग किया। इसके बाद गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के अधिकारी माइकल एम्परिक ने UN में भारत की राजदूत रुचिरा कंबोज को वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट दिया।
वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने योग कार्यक्रम में कहा- योग का मतलब है- युनाइट करना यानी साथ लाना। मुझे याद है मैंने यहां 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव रखा था। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए पूरी दुनिया भारत के साथ आई।पीएम मोदी ने कहा कि योग भारत की पुरानी संस्कृति है और इस पर किसी का कॉपीराइट नहीं है।
कार्यक्रम UN के नॉर्थ लॉन के गार्डन में हुआ। इसमें न्यूयॉर्क के मेयर एरिक एडम, शेफ विकास खन्ना, संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष साबा कोरोसी समेत 135 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
UN हेडक्वार्टर में योग पर PM मोदी की कही अहम बातें…
- PM मोदी ने कहा -योग को घर या बाहर कहीं भी किया जा सकता है। ये फ्लेक्सिबल है। ये सभी संस्कृतियों के लिए है।
- योग जिंदगी जीने का तरीका है। PM ने कहा कि योग खुद के साथ और दुनिया के साथ शांतिपूर्ण तरीके से रहने का तरीका सीखाता है।
- पिछले साल भारत के इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स (मोटे अनाज) को लेकर पूरी दुनिया एक साथ आई थी आज योग के लिए पूरी दुनिया को एकजुट हुआ देखकर अच्छा लग रहा है।
महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए
प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम की शुरुआत लॉन में लगी महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर की है। इससे पहले पीएम मोदी ने सुबह लोगों को योग दिवस की शुभकामनाएं दी थी।
उन्होंने कहा था- आज योग दिवस पर मैं कई दायित्वों के चलते आप लोगों के बीच नहीं हूं। भले मैं आपके साथ योग नहीं कर रहा हूं, लेकिन मैं योग करने के दायित्व से भाग नहीं रहा हूं। उन्होंने कहा कि योग दुनिया को जोड़ रहा है।
पाकिस्तान के विरोध के बावजूद भारत की योग डिप्लोमेसी पर UN में लगी थी मुहर
27 सितंबर 2014 को प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार यूनाइटेड नेशन्स में हर साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मनाए जाने का प्रस्ताव रखा था। फोर्ब्स के मुताबिक मोदी के इसी भाषण से जाहिर हो गया था कि भारत अब खुलकर योग को डिप्लोमेसी के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है।
11 दिसंबर 2014 को यूनाइटेड नेशन में भारतीय राजदूत अशोक मुखर्जी ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव पेश किया था। इसके बाद पाकिस्तान ने भारत के इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया। पाकिस्तान नहीं चाहता था कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव पास हो। हालांकि इस प्रस्ताव को पहले से ही यूनाइटेड नेशन के करीब 177 देशों का समर्थन मिला हुआ था।
पाकिस्तान के नहीं चाहने के बावजूद मुस्लिम देशों के संगठन OIC के 56 देशों में से 48 ने भारत का साथ दिया। इतना ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव पर चीन ने भी पाकिस्तान की बजाय भारत का साथ दिया।
इस तरह बिना वोट कराए भारत का यह प्रस्ताव यूनाइटेड नेशन में सर्वसम्मति से पास हो गया। भारत ने योग डिप्लोमेसी से पाकिस्तान को तब अंतरराष्ट्रीय मंच पर अकेला कर दिया था।
वहीं, 2018 में भारत और चीन की सेना के बीच डोकलाम विवाद हुआ। इसके बावजूद साल भर बाद 21 जून 2019 को भारत और चीन के सैनिकों ने गुवाहाटी में एक साथ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया था। तब योग डिप्लोमेसी के जरिए दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव कम करने की कोशिश की गई थी।
राजीव गांधी की कल्चरल डिप्लोमेसी को PM मोदी ने योग से आगे बढ़ाया
साल 1985 की बात है। दुनिया में भारत को नई पहचान देने के लिए राजीव गांधी ने अमेरिका में ‘फेस्टिवल ऑफ इंडिया’ के नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की। इसका मकसद ये था कि भारत के अलग-अलग कल्चर और त्योहारों के बारे में दुनिया को पता चले।
जून 1985 में इसी योजना के तहत फ्रांस की राजधानी पेरिस में राजीव गांधी ने एक भव्य प्रोग्राम कराया। इसमें पतंग उड़ाने के कार्यक्रम से लेकर भारतीय फिल्में दिखाने और खाने तक को शामिल किया गया था। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक इसमें पेरिस के 2 लाख लोग शामिल हुए थे। राजीव गांधी ने कहा था- पेरिस में सब कुछ है, पर आज हम यहां पूरे भारत को लेकर आए हैं।
विदेश मामलों के एक्सपर्ट्स ने राजीव के इस प्रयास को तब भारत की कल्चरल डिप्लोमेसी बताया था। करीब 29 साल बाद एक बार फिर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया में भारत को नई पहचान देने के लिए योग को कल्चरल डिप्लोमेसी के तौर पर इस्तेमाल किया। 2022 में दुनिया के 192 देशों ने योग दिवस को सेलिब्रेट कर इस डिप्लोमेसी की सफलता पर मुहर लगा दी।