अमेरिका का सबसे डेंजरस मैन कहे जाने वाले व्यक्ति डेनियल एलसबर्ग का शुक्रवार को 92 साल की उम्र में कैंसर से निधन हो गया। वो 1955 से 1975 तक चली वियतनाम जंग के बारे में बोले गए अमेरिका के झूठ को लोगों के सामने लाए थे। दरअसल, उन्होंने प्राइवेट कंपनी में मिलिट्री एनालिस्ट के तौर पर काम करते हुए अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के 7000 खुफिया पेपर लीक कर दिए थे।
इसमें जंग से जुड़ी अहम जानकारियां थीं। इन खुलासों के चलते तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को 1974 में इस्तीफा देना पड़ा था। इतना ही नहीं एलसबर्ग ने अमेरिका के उस प्लान को भी लीक किया था, जिसमें चीन पर परमाणु अटैक करने की जानकारी थी। इसके चलते अमेरिका के तत्कालीन नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर हेनरी किसिंगर ने एलसबर्ग को डेंजरस मैन, यानी खतरनाक आदमी कहा था।
एलसबर्ग के खुलासों से अमेरिकी राष्ट्रपति को देना पड़ा इस्तीफा
1967 में अमेरिका के डिफेंस सेक्रेटरी रॉबर्ट एस मैकनामरा ने एक कमिशन बनाया, जिसका काम वियतनाम जंग के बारे में सारी डिटेल्स इकट्ठा करना था। ये डिटेल्स इकट्ठा करने वालों में एक डेनियल एलसबर्ग भी थे। कमिशन की इंक्वायरी में सामने आया कि अमेरिका की सरकारें लोगों को झूठ बोल रही हैं कि वो वियतनाम में लड़ी जा रही जंग जीतने वाले हैं। वियतनाम जाकर की गई जांच में सामने आया था कि अमेरिका के सैनिकों को सिर्फ मरने के लिए वियतनाम भेजा जा रहा है।
एलसबर्ग ने 1971 में ये जानकारी लीक कर दी। उन्होंने अपनी जांच के 7 हजार पेपर अमेरिका के बड़े अखबारों न्यूयॉर्क टाइम्स, वॉशिंटन पोस्ट और AP को दिए थे। इसके चलते एलसबर्ग पर चोरी, जासूसी और साजिश के आरोप लगे थे। सरकार ने तो न्यूयॉर्क टाइम्स के पब्लिकेशन तक को बंद कराने का फैसला ले लिया था। एलसबर्ग के खुलासों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को इस्तीफा देना पड़ा था। वियतनाम जंग में अमेरिका के 50 हजार से ज्यादा सैनिकों की मौत हुई थी, जबकि इसमें वियतनाम के 2 लाख से ज्यादा नागरिक भी मारे गए थे।
चीन पर अमेरिका के परमाणु हमले के प्लान का भी खुलासा किया
1958 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार ने ताइवान के एक आईलैंड पर गोलीबारी करना शुरू कर दिया था। इस बीच अमेरिका ताइवान की मदद के लिए आगे आया था। डेनियल एलसबर्ग की लीक की गई फाइलों में खुलासा हुआ था कि ताइवान की मदद के लिए अमेरिका ने चीन पर परमाणु हमले की भी तैयारी कर ली थी।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक उस दौरान चीन के पास परमाणु हथियार नहीं थे। ऐसे में माना जा रहा था कि अगर अमेरिका चीन पर अटैक करेगा तो रूस उसकी मदद के लिए आगे आता। इससे परमाणु युद्ध शुरू हो सकता था।
दो हफ्ते अंडरग्राउंड रहने के बाद दी गिरफ्तारी
7000 पेपर्स के खुलासे के तुरंत बाद FBI जान चुकी थी कि ये काम एलसबर्ग का है। डेनियल एलसबर्ग खुफिया फाइलों का खुलासा करने के बाद 2 हफ्तों तक अंडरग्राउंड रहे थे। हालांकि, बाद में उन्होंने अमेरिका के बोस्टन शहर में सरेंडर कर दिया। सरेंडर करने के बाद उन्होंने कहा- अमेरिका का जिम्मेदार नागिरक होने के नाते मैं वियतनाम जंग से जुड़ी जानकारियों लोगों से और नहीं छिपा सकता था। मैनें जो कुछ किया उसका नतीजा भुगतने के लिए मैं पूरी तरह से तैयार हूं।
अमेरिका समर्थक देशों और कम्युनिस्ट समर्थक देशों के बीच हुई थी वियतनाम में जंग…
– इस जंग में नॉर्थ वियतनाम के साथ कम्युनिस्ट समर्थक यानी की रूस और चीन जैसे देश थे।
– साउथ वियतनाम की ओर से कम्युनिस्ट विरोधी अमेरिका और उनके सहयोगी लड़ रहे थे।
– युद्ध में अमेरिका की असल भूमिका 9 फरवरी 1965 से शुरू हुई, जब उसने अपनी सेना वियतनाम भेजी।
– कॉर्प्स हॉक लड़ाकू मिसाइल को डा नांग स्थित अमेरिकी एयरबेस की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया।
– इस कदम को दुनिया ने पहली बार वियतनाम में अमेरिकी दखल की तर पर लिया था।
– राष्ट्रवादी ताकतों (उत्तरी वियतनाम) का मकसद देश को कम्युनिस्ट राष्ट्र बनाना था।
– वहीं, अमेरिका और साउथ वियतनाम देश को कम्युनिज्म से बचाना चाहते थे। नॉर्थ वियतनाम का नेतृत्व हो ची मिन्ह कर रहे थे।
– 2008 में अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि युद्ध पर कुल 686 अरब डॉलर खर्च हुआ था, जो आज के वक़्त 950 अरब डॉलर से ज्यादा है।