हादसे के बाद अमर उजाला ने घटनास्थल पर पहुंचकर सच जाना। जिसमें स्थानीय लोगों और चश्मदीदों से बातचीत की गई, जिसमें कुछ चौंकाने वाली बातें सामने आईं हैं
साकार हरि बाबा की अपनी फौज है। हल्के गुलाबी रंग के पैंट-शर्ट, पुलिस बेल्ट, हाथ में लाठी और सीटी लेकर हजारों की संख्या में इनके स्वयंसेवक कार्यक्रम स्थल और सड़कों पर चप्पे-चप्पे पर तैनात रहते हैं। एक नजर में देखने पर यह होमगार्ड जैसा कोई अनुशासित बल दिखाई देता है। बड़ी संख्या में महिला स्वयंसेवक भी तैनात रहती हैं। इनकी भी वर्दी होती है। हादसे के बाद अमर उजाला ने घटनास्थल पर पहुंचकर सच जाना, जिसमें कुछ चौंकाने वाली बातें सामने आईं हैं।
बातचीत में हाथरस के स्थानीय निवासी और भगदड़ के चश्मदीद आकाश ने बताया कि बाबा की प्राइवेट आर्मी ने किसी को भी वीडियो नहीं बनाने दिया। एक दूसरे शख्स ने बताया कि जो भी व्यक्ति अंदर जाकर वीडियो बना रहा था, उस पर बाबा की प्राइवेट आर्मी लाठी बरसी रही थी। साथ ही लोगों से फोन छीन रही थी।
हाथरस के विजय प्रताप सिंह ने बताया कि जिस समय हादसा हुआ उस समय मैं पास में स्थित अपने मित्र के निर्माणाधीन मकान पर बैठा हुआ था। जब चीख-पुकार की आवाज सुनाई दी तो मैं दौड़ा। मौके पर देखा कि लोग एक दूसरे के ऊपर गिरे पड़े हुए थे।
बाबा की प्राइवेट आर्मी ने हादसे के बाद बचाव कार्य में किया हस्तक्षेप
भगदड़ के बाद का मंजर बयां करते हुए विजय ने कहा कि बाबा की प्राइवेट की आर्मी अंदर और बाहर दोनों जगह हस्तक्षेप कर रही थी। पुलिस को भी उसने अंदर घुसने नहीं दिया। इसके बाद पुलिस के जवान बचाव कार्य में जुटे रहे। जितने लोगों को वो बचा पाए उनकी जानें बच गईं।
बाबा की आर्मी आयोजन में देखती है यह इंतजाम
बाबा की यह लंबी-चौड़ी फौज ट्रैफिक व्यवस्था से लेकर, पानी और दूसरे इंतजाम देखती है। कार्यक्रम स्थलों पर बाबा की फौज का यह गणवेश आप कई काउंटरों से बिकते देख सकते हैं। कहा जाता है इसे खरीदने की अनुमति उन्हीं लोगों की होती है जिसे बाबा चाहते हैं। कई बार यह स्वयंसेवक आम आदमी को कार्यक्रम स्थल के पास से गुजरने से रोक भी देते हैं। प्रशासन भी इन स्वयंसेवकों के भरोसे शायद उतना ध्यान नहीं देता जितना उसे देना चाहिए। शायद प्रशासन की उपेक्षा और बाबा के स्वयंसेवकों पर जरूरत से ज्यादा भरोसे ने हाथरस जैसे बड़े हादसे को जन्म दिया है। हादसे से हाथरस से लेकर लखनऊ और दिल्ली तक हड़कंप मचा हुआ है।
बाबा का आयोजन के दौरान मंच का और भगदड़ का एक भी साफ वीडियो क्यों नहीं?
आज के दौर में जब हर व्यक्ति मोबाइल का उपयोग कर रहा है और हर छोटी और बड़ी घटना और अपने जीवन से जुड़े हर पल का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करता है। ऐसे स्थिति में लाखों लोगों वहां उपस्थित थे और बाबा के प्रवचन और जिस समय यह घटना घटी उस समय का एक भी साफ वीडियो उपलब्ध नहीं हैं। ऐसा कैसे हो सकता है, इससे सवाल खड़ा होता है कि क्या इन वीडियो को जानबूझकर रोका गया?