विजय कुमार
नई दिल्ली,26 अप्रैल। दिल्ली के फिरोजषाह कोटला मैदान पर अगर आप आईपीएल के मैच देखने के लिए आ रहें है तो अपनी जिम्मेदारी पर आए, इंतजाम ना के बराबर हैं।
कोटला मैदान पर 24 अप्रैल को दिल्ली कैपिटल और गुजरात टाइटन के बीच मुकाबला खेला गया था। जहां एक तरफ दोनों ही टीमें अपनी हार जीत के लिए जोर अजमाइष कर रही थी तो वहीं एक पत्रकार मीडिया बॉक्स व मैदान पर मेडिकल सुविधा ना होने के कारण अपने पैरों की उंगलियों को कटने से बचाने में लगा था।
हुआ यूं कि एक पत्रकार मीडिया बॉक्स के साथ में बनें ओपन व्यू पर एक क्रिकेटर से बातचीत करने के प्रयास में वहां पहुंच गया। मगर देखता है कि उनके दांए पांव के जूते के भीतर से खून की धारा बह रही है। यह बात उसको साथ में खडे क्रिकेटर ने बताई, जिसको देखकर वह पत्रकार घबरा गया और उसने देखा कि उसके जूते से खून की धारा बह रही थी। इसी धारा को रोकने का प्रयास उसने कई बार किया, अंत में उसने स्टेडियम पर मौजदा मेडिकल स्टाफ से सहायता मांगी तो उन्होंने मात्र उसके पैरों में पटटी बांध दी, ना तो उसको टीटी का इंजेक्षन दिया ना ही पैरों में टांके लगाने का जरूरी साजो सामान उनके पास मौजूद था। हां उसको एंम्बूलेंस में बिठा कर जरूर पास के अस्पताल छोड दिया। जहां पत्रकार आपातकालीन विभाग के चक्कर लगाने के बाद दूसरे फिर तीसरे अस्पताल के चक्कर लगाते हुए चौथे अस्पताल पहुंचा। जहां पत्रकार के सीधें पांव में कुल 7 टांके लगे तथा डाक्टर ने कहा अगर आपने अच्छे जूते नहीं पहनें होते तो षायद आपके पांच की 3 से 4 अंुगलियां कट गई होती। इस बाबत जब डीडीसीए के एक आला अधिकारी से बात की तो उसने कहा हमने संबंधित अधिकारी को कारण बताओं नोटिस जारी किया है, यह कितना सच और झूठ है यह तो डीडीसीए के पदाधिकारी ही बता सकते है।
-यहीं नहीं खाने को लेकर भी ष्षिकायत लगातार आ रही हैं-बताया जा रहा है कि पिछले मैच में बॉल बॉय बच्चों को खाने के डिब्बे खराब होने के बाद स्थानीय जगह से पिजा लाकर खिलाया गया। सूत्रों से यह भी पता चला है कि खाने की षिकायत को लेकर बहुत से बच्चे और बडे डॉक्टरों से दवा मांगते रहे। उनको उल्टी और पेट दर्द की षिकायत आ रही थी।
ऐसे ही खाने की षिकायत मीडिया और ओल्ड बॉक्स में भी लोगों से सुनने को मिली। उन्होंने बताया उनको एक तो मंहगी टिकट लेने पडी, दूसरा खाने के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है। यहां मिलने वाला खाना षायद कोई जानवर भी नहीं खाए।
-दूसरी तरफ डीडीसीए के अधिकतर पदाधिकारी मैच की टिकटों को लेकर जोड-तोड में लगे हुए है।
