बचाव पक्ष का तर्क था कि याचिकाकर्ता की दुष्कर्म में सीधी भूमिका नहीं थी। हालांकि कर्नाटक हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी और अपने आदेश में मनुस्मृति और महात्मा गांधी के शब्दों का जिक्र किया।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म के एक आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया। अपने फैसले के पक्ष में उच्च न्यायालय ने मनुस्मृति और महात्मा गांधी का हवाला दिया और इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं की गरिमा की सुरक्षा किए जाने की जरूरत है। मामला बिहार के बांका की एक 19 वर्षीय जनजातीय वर्ग की युवती के दुष्कर्म से जुड़ा है। पीड़िता के परिजन केरल के इलायची के बगानों में काम करते हैं और पीड़िता बीती 2 अप्रैल को अपने चचेरे भाई के साथ केरल से बंगलूरू के केआर पुरम रेलवे स्टेशन पहुंची थी
क्या है मामला
अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़िता अपने चचेरे भाई के साथ महादेवपुरा इलाके में खाना खाने जा रही थी, उसी दौरान दो लोगों ने स्टेशन के नजदीक ही उन्हें पकड़ लिया। अभियोजन पक्ष के अनुसार, एक आरोपी ने पीड़िता के चचेरे भाई को पकड़ा और दूसरे ने पीड़िता से दुष्कर्म किया। पीड़िता की चीखें सुनकर आसपास के लोग मदद के लिए पहुंचे और दोनों आरोपियों को पकड़ लिया। सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। दोनों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया।
अभियोजन पक्ष ने जमानत का विरोध करते हुए दी ये दलील
उच्च न्यायालय में बचाव पक्ष ने दलील दी कि याचिकाकर्ता को गलत तरीके से इस मामले में फंसाया गया है और याचिकाकर्ता की इस दुष्कर्म मामले में कोई सीधी भूमिका नहीं है। हालांकि अभियोजन पक्ष ने कहा कि याचिकाकर्ता ने पीड़िता के चचेरे भाई को पकड़ा, जिससे चचेरा भाई अपनी बहन के साथ दुष्कर्म का विरोध नहीं कर सका। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस एस रचैया ने कहा कि पीड़िता के मन पर इस घटना का असर जीवन भर रहेगा और यह घटना उसके जीवन पर एक धब्बा रहेगी। पीड़िता के लिए दुष्कर्म की इस घटना से उबरना भी बेहद मुश्किल होगा
पीठ ने मनुस्मृति और महात्मा गांधी के शब्दों का किया जिक्र
पीठ ने मनुस्मृति के एक श्लोक का हवाला देते हुए कहा कि ‘जहां महिलाओं का सम्मान होता है, वहां देवता वास करते हैं और जहां उनका अपमान होता है, वहां सभी कर्मों का महत्व कम हो जाता है।’ जस्टिस रचैया ने महात्मा गांधी के शब्दों को भी दोहराया कि ‘जिस दिन महिलाएं सड़कों पर रात में आजादी से घूम सकेंगी, उस दिन हम कह सकते हैं कि भारत को आजादी मिल गई है