विजय कुमार
नई दिल्ली,19 मई। एक समय था जब दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बच्चे तैराकी
ही नहीं, हर खेल में आगे हुआ करते थे। कुछ तो ऐसे खिलाडी भी हुए जिनके
नेशनल रिकार्ड आज भी मौजूद है। जिसमें खजान सिंह टोकस, धर्मपाल टोकस,
संदीप सेजवाल आदि प्रमुख नाम हैं, जिन्होंने राज्य ही नहीं देश का भी नाम
अंतराष्टृीय पटल पर रखा है।
अगर वर्तमान की बात करें तो राजधानी में दिल्ली गेम्स के नाम से राज्य
स्तरीय खेलों का आयोजन दिल्ली ओलंपिक संघ के तत्वाधान में किया जा रहा
है। इसमें काफी संख्या में खेल खेले जानें है। इसमें से एक तैराकी
प्रतियोगिता भी है।
इस प्रतियोगिता में सरकारी स्कूल के बच्चे अपना सौ प्रतिशत प्रदर्शन करने
का प्रयास करेंगे। मगर दिल्ली सरकार के स्विमिंग पूल दो सालों से बंद
होने के कारण इस बार भी दिल्ली के तैराक क्या औपचारिकता पूरी करेंगे।
मजे की बात तो यह है कि पिछली सरकार ने भी कहा था कि वह दिल्ली के
खिलाडियों के लिए काफी कुछ करेंगे। वर्तमान मुख्यमंत्री ने भी वादा किया
है कि वह दिल्ली के खिलाडियों को बाहर के राज्यों में नहीं जानें देंगे।
मालूम हो कि दिल्ली के अधिकतर खिलाडी सुविधाओं के अभावों से दूसरे
राज्यों में जाकर नाम करते है, जहां उनको उन राज्यों से अच्छा खासा पैसा
और शौहरत भी मिलती है।
सूत्रों की मानें तो दिल्ली सरकार की खेल बंाच जिसका कार्यालय छत्रसाल
स्टेडियम पर वहां के एस ओ और आला अधिकारी कभी चाहते ही नहीं कि स्विमिंग
पूल चालू हो। यहीं कारण है कि 17 महीने कार्य करने वाले के बाद भी
स्विमिंग कोचो और लाइफ गार्ड को वेतन नहीं मिला था, वर्तमान में भी यहीं
स्थिति बनीं हुई है, उनको छह महीनें से वेतन का इंतजार है। हालांकि पिछला
बकाया वेतन मिल गया बताया जा रहा है।
हालांकि यह भी बताया जा रहा है कि मीडिया में दिल्ली सरकार के स्विमिंग
पूलों की खबर आने के बाद से उक्त पदाधिकारी जरूरी मंजूरी लिए बिना ही पूल
को चालू करने का दवाब अपने कोचों पर डाल रहें हैं। मालूम हो कि स्विमिंग
पूल चालू करने के लिए पहले भारतीय खेल प्राधिकरण फिर दिल्ली नगर निगम और
तीसरे नंबर पर दिल्ली पुलिस के लाइंसेंस विभाग से मंजूरी लेनी पडती है।
इस कार्य को करने के लिए तीन माह तक का समय लग जाता है, तब जाकर 1 अप्रैल
से स्विमिंग पूल चालू होते हैं मगर अभी तो मंजूरी लेना शुरू ही नहीं किया
तो पूल कैसे चालू हो।
स्विमिंग पूल चालू ना होने के कारण दिल्ली के तैराक अपनी तैयारियों को
अंजाम नहीं दे पा रहें है। उनका रिकार्ड भी खेल में खराब ही रहेगा। इस पर
खिलाडियों को भले ही परेशानी हो मगर अधिकारी तो मौज ही ले रहें है। उनको
खिलाडियों की चिंता ही नहीं है, यह किसी एक खेल की बात नहीं, सभी खेलों
का यही हाल बताया जा रहा है।
अगर सही समय पर छत्रसाल पर बैठे अधिकारी और नीचे के कर्मचारी पर एक्शन
ले लिया जाता तो दो साल से पूल बंद नहीं होतें। हां मीडिया में आई खबरों
से खिलाडियों को राहत मिल रही है कि शायद स्विमिंग पूल इस बार चालू हो
जायें। मगर कब तक यह फिलहाल कहना जल्दबाजी लगती हैं
खबर विजय कुमार नई दिल्ली से
