दक्षिण कोरिया के राजनीति में इन दिनों कोहराम मचा हुआ है. पहले राष्ट्रपति यून सुक येओल पर महाभियोग लगाकर उन्हें पद से हटा दिया गया. अब विपक्षी दलों के नियंत्रण वाली संसद ने कार्यवाहक राष्ट्रपति हान डक-सू के खिलाफ भी महाभियोग चलाने के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है. संसद ने शुक्रवार महाभियोग प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. प्रस्ताव के पक्ष में 192 मत पड़े जबकि विरोध में कोई मत नहीं पड़ा क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी के सांसदों ने मतदान का बहिष्कार किया था.
मार्शल लॉ बना राजनैतिक संकट का कारण?
दक्षिण कोरिया में दूसरे नंबर के अधिकारी हान को राष्ट्रपति यून सुक येओल के पद पर बने थे. ‘मार्शल लॉ’ लागू करने के कारण संसद द्वारा महाभियोग चलाए जाने के बाद से यून को राष्ट्रपति पद से हटा दिया गया था. हान के महाभियोग से दक्षिण कोरिया का राजनीतिक संकट और गहरा गया है. पहले के राष्ट्रपति यून पर 3 दिसंबर को मार्शल लॉ घोषित करने के लिए 14 दिसंबर को महाभियोग लगाया गया था. तब से हान कार्यवाहक राष्ट्रपति हैं. इस महाभियोग ने दक्षिण कोरिया की राजनीति में एक नया संकट खड़ा कर दिया है.
महाभियोग के लिए किसने की पहल?
गुरुवार को दक्षिण कोरिया की मुख्य विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी अब कार्यवाहक राष्ट्रपति हान डक-सू के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लेकर आई थी. विपक्षी दल का कहना था कि अगर कार्यवाहक राष्ट्रपति न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं करेंगे तो हम उनके खिलाफ महाभियोग चलाएंगे. विपक्षी पार्टी के प्रवक्ता यूं जोंग-कुन ने कहा कि इस महाभियोग कारण यह है कि हान देश में महाभियोग का सामना कर रहे राष्ट्रपति यून सुक येओल व उनकी पत्नी के खिलाफ विपक्ष द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर स्वतंत्र जांच की मंजूरी नहीं दे पाए हैं. शुक्रवार को महाभियोग प्रस्ताव पर मतदान कराया गया. दक्षिण कोरिया की संसद के नियम के मुताबिक महाभियोग प्रस्तुत किए जाने के 24 से 72 घंटे के भीतर मतदान कराया जाना जरूरी है.