हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में मस्जिद विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार को संजौली में प्रदर्शनकारी और पुलिस आमने सामने है। आखिर ये विवाद शुरू कहां से हुआ… आइए जानते हैं सब कुछ…
हिमाचल प्रदेश के शिमला में संजौली मस्जिद को लेकर हिंदू संगठन लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। हिंदू पक्ष का कहना है कि पांच मंजिला मस्जिद का निर्माण अवैध रूप से किया गया है। इसलिए इस मस्जिद के अवैध निर्माण को गिराया जाना चाहिए। बुधवार को भीड़ संजौली में बेकाबू हो गई। हाल ऐसे कि पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। हालांकि प्रदर्शन के चलते धारा 163 लागू कर दी गई है, लेकिन हजारों की संख्या में लोग सड़क पर प्रदर्शन करते हुए नारे लगा रहे हैं।
कहां से शुरू हुआ विवाद
मस्जिद विवाद एक लड़ाई की वजह से शुरू हुआ। जहां शिमला के मल्याणा इलाके में एक हिंदू व्यक्ति के साथ करीब 6 लोगों ने मारपीट की थी। जिसके बाद वो गंभीर रूप से घायल हो गया। इस मारपीट को लेकर उक्त व्यक्ति ने थाने में केस दर्ज कराया और बताया कि मारपीट के बाद सभी आरोपी मस्जिद में छिप गए। जब हिंदू संगठनों को इसका पता चला तो उन्होंने संजौली मस्जिद के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू कर दिया और इस मस्जिद को अवैध बताकर इसे गिराने की मांग उठाई। इसके बाद धीरे-धीरे लोगों का ये प्रदर्शन आक्रोश में बदल गया।
कैबिनेट मंत्री बोले- सरकरी जमीन पर बनी है मस्जिद
कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने विधानसभा में कहा कि यह पूरी मस्जिद ही अवैध है। यह हिमाचल सरकार की जमीन पर बनी है। उन्होंने विधानसभा में यह भी कहा कि बाहर से आ रहे लोग शिमला का माहौल खराब कर रहे हैं। उन्होंने लव जिहाद की बात भी कही और शिमला में रोहिंग्याओं के होने का भी जिक्र किया।
ध्यान रहे कि संजौली की इस मस्जिद का मामला नगर निगम की कोर्ट में 2010 से चल रहा है। किसी भी सरकार ने इसे लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई। नगर निगम की कोर्ट में मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर बार-बार नोटिस जारी किए गए, लेकिन फिर भी चार से पांच मंजिल अवैध तरीके से खड़ी हो गईं।
विक्रमादित्य सिंह बोले अवैध होगी तो गिराई जाएगी मस्जिद
संजौली इलाके में एक मस्जिद के कथित अवैध निर्माण के मामले पर हिमाचल प्रदेश सरकार के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा, “यह मामला लंबे समय से लंबित है। जहां तक इसमें अवैध भवन के निर्माण की बात है, उस पर सरकार ने संज्ञान लिया है। मैंने विधानसभा में भी मजबूती से कहा है कि जैसे ही इसमें फैसला आता है और अगर ये अवैध पाया जाता है तो निश्चित तौर पर इसे ध्वस्त किया जाएगा। मगर हमें कानून की प्रक्रिया से आगे चलना है। हम चाहते हैं कि हिमाचल प्रदेश में शांति का माहौल बना रहे।