अरुणाचल प्रदेश में सरकार बनाने को लेकर जारी गतिरोध भाजपा समर्थित सरकार बनाने का रास्ता साफ होने के साथ समाप्त हो गया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश की है
एक दिन पहले सर्वोच्च न्यायालय ने राज्यपाल को राज्य में नई सरकार को शपथ दिलाने से रोकने से इनकार कर दिया था। कांग्रेस पार्टी ने न्यायालय से गुहार लगाई थी कि वह राज्यपाल को नई सरकार को शपथ दिलाने से रोके। अब केंद्रीय मंत्रिमंडल के जरिये प्रदेश से राष्ट्रपति शासन हटाने के निर्णय के बाद भगवा सरकार बनने की संभावना तय लग रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को संपन्न हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश की गई। राज्य में 26 जनवरी को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था।
31 विधायकों ने की थी राज्यपाल से मुलाकात
दरअसल, कांग्रेस के असंतुष्ट कोलिखो पुल के नेतृत्व में सोमवार को 31 विधायकों ने राज्यपाल से मुलाकात कर अरुणाचल में अगली सरकार बनाने का दावा पेश किया था।
उल्लेखनीय है कि राज्य में विधानसभा की कुल 30 सीटें हैं, जबकि नई सरकार बनाने के लिए कांग्रेस के 19 बागी विधायक, भाजपा के 11 विधायक एवं दो निर्दलीय सदस्यों का समर्थन हासिल है। इस कवायद के बाद कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
पार्टी को उम्मीद थी कि अदालत से उसे यथास्थिति बनाए रखने या किसी नई सरकार का गठन नहीं होने का आदेश प्राप्त होगा। मगर न्यायालय के इनकार के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपना कदम बढ़ाकर खलिको पुल के नेतृत्व में सरकार गठन की राह तैयार कर दी है।