-वेतन मांगने पर नौकरी से हटाने और दूर ट्रांसफर करने की देते है धमकी।
-लाइफ गार्डस नौकरी करने के लिए मजबूर।
-विजय कुमार
नई दिल्ली, 26 मार्च। हम लोगों की जिंदगी बचाने का काम करते है, मगर
हमारी जिंदगी खद नरक में जा पहुंची है। पिछले एक साल से हमें सरकार ने
वेतन ही नहीं दिया और अब अप्रैल से दूसरा साल लगने जा रहा हैं। हां सरकार
से अगर कुछ मिला हो तो वह कोरा आष्वासन। यह कहना है दिल्ली सरकार के
स्विमिंग पूलों में काम करने वाले लाइफ गार्ड की जिम्मेदारी संभालने
वालों का।
नाम न छापने की छापने के उपरांत हमसे बात करने के लिए राजी होने पर
उन्होंने बताया कि वह पिछले एक साल से दिल्ली सरकार के प्रत्येक विभाग
में अपने वेतन के लिए धक्के खा रहें है। जहां भी जाते है उनको कह दिया
जाता है कि जल्द ही कुछ ना कुछ जरूर होगा। ऐसा 1 अप्रैल 2023 से चल रहा
है। उन्होंने बताया कि दिल्ली मंे दिल्ली सरकार के करीब 20 स्विमिंग पूल
है। जहां प्रत्येक पूल पर दो-दो लाइफ गार्डस तैनात किए गए है। यह तैनाती
छत्रसाल स्टेडियम स्थित खेल ब्रांच से की जाती है। कांटेक्ट बेस पर उनको
रखा जाता है, दूसरा वहीं से उनका वेतन भी आता है। मजेदार बात यह है कि
उनमें से कई लाइफ गार्डस को 15-15 सालों से यही काम कर रहें है। उनको
पक्का करने की बात तो दूर उनको तो पिछले एक साल से उनको वेतन ही नहीं
मिला है। यह लाइफ गाडर्स एक पूल में करीब 400 सौ युवा तैराक जो कि सीखने
के लिए आते है उनको ट्रेनिंग देते है तथा उस दौरान उनके जीवन की रक्षा भी
करते है। मगर अपने जीवन की रक्षा वह नहीं कर पा रहे है।
दूसरी बात यह है कि दिल्ली सरकार इन्हीं लाइफ गाडर्स की जानकारी देकर
दिल्ली पुलिस के विभिन्न विभागों से स्विमिंग पूल चलाने का लाइसेंस भी
लेते है। लाइफ गाडर्स ना हो तो उनको पूल चलाने की अनुमति विभागों द्वारा
नहीं मिल सकती। इसके बावजूद यह लाइफ गार्डस अपनी रोजी रोटी से दो जून का
खाना तक नहीं जुटा पा रहें है।
ऐसा नहीं कि इस बाबत खेल विभाग को जानकारी नहीं है। बल्कि दो-दो खेल
निदेशकों के बदले जाने के बावजूद वेतन नहीं मिला। जो भी खेल निदेशक
छत्रसाल में आता है वह केवल आश्वासन देता रहता है। वर्तमान में भी ऐसा ही
हो रहा है। यह जानकारी राज्यपाल के ऑफिस पास भी है।
लाइफ गाडर्स का कहना है कि अब तो इस बाबत अगर किसी विभागाध्यक्ष के पास
जाते है तो वह नौकरी से निकालने और दूर तबादला करने की धमकी देते है। ऐसे
में यह कोई नहीं सोचता कि वह पिछले एक साल से अपने परिवारों को कैसे
कैसे पाल रहे हैं। कईयों ने बताया कि कई महीने से उनके बच्चों की स्कूल
की फीस तक नहीं भरी गई। जिससे स्कूल वालों ने उनके बच्चों के परिणाम तक
रोक लिए है।
इस बाबत खेल निदेशक से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने ना तो
फोन ही उठाया ना ही व्हाट्सएप पर ही अपना जवाब दिया। ऐसे में यह लाइफ
गार्डस अपने-अपने परिवार के साथ बेहद निम्न जीवन जीने के लिए मजबूर है