भारत समेत दुनिया के कई देशों की लंबी समय से चल रही मांग के बाद भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधारों पर कोई भी कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद बने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अब भी 5 स्थायी सदस्यों (‘अमेरिका’, ‘चीन’, ‘रूस’, ‘फ्रांस’ और ‘ब्रिटेन’) का ही दबदबा बना हुआ है.
इतने साल बीत जाने के बाद दुनिया में ‘भारत’, ‘जर्मनी’, ‘जापान’ जैसी कई नई ताकतें उभरकर आई हैं और ‘फ्रांस’, ‘ब्रिटेन’ जैसे स्थायी देशों का पतन हुआ है. इन बदली हुई परिस्थितियों के बाद भी भारत की मांग को दशकों से अनसुना किया जा रहा है. जिसके बाद एक बार फिर से भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से ही सभी 5 स्थायी देशों को जमकर फटकार लगाई है. भारत ने कहा कि 5 स्थायी देश कब तक 188 देशों की सामूहिक इच्छा की अनादर करते रहेंगे
UNSC से सुधार की मांग
संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजदूत रुचिरा कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों की मांग की है. साथ ही अपने एक बयान में कहा कि कितने लंबे समय तक 5 सदस्य देशों की इच्छा 188 देशों की सामूहिक इच्छा की अवहेलना करती रहेगी. इसे निश्चित रूप से बदलना होगा.
भारत ने कहा कि सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र में समान अवसर मिलना चाहिए. कंबोज ने कहा कि ग्लोबल साउथ के देशों के साथ ऐतिहासिक रूप से अन्याय किया गया है और इसे तुरंत सही करने की जरूरत है. साथ ही उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार करके स्थायी और अस्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाई जाए और उसमें एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देशों को शामिल किया जाए.
रुचिरा कंबोज ने आगे कहा कि कमजोर देशों को समान मौका दिया जाना चाहिए ताकि जो भी निर्णय लिए जाएं वे सबके हित में हो सकें. कंबोज ने कहा कि ‘भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधार का समर्थन करता है. इसमें स्थायी और गैर स्थायी सदस्यों की संख्या शामिल है. कंबोज ने सुरक्षा परिषद की कार्यप्रणाली में भी सुधार की जरूरत पर बल दिया ताकि किसी भी देश के साथ भेदभाव नहीं हो. बता दें कि भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी का चीन सबसे कड़ा विरोध कर रहा है.
दरअसल, संयुक्त राष्ट्र (UNSC ) की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वैश्विक शांति और स्थिरता बनाए रखने के मकसद से की गई थी. सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों से पांच स्थायी सदस्य और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं. स्थायी सदस्यों अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस के पास वीटो शक्ति है और वो किसी प्रस्ताव को आसानी से रोक सकते हैं. इन देशों का संयुक्त राष्ट्र के कामकाज पर व्यापक प्रभाव है. भारत और कई अन्य देशों ने साफ कह दिया है कि UNSC को प्रासंगिक बने रहने के लिए कई सुधारों से गुजरना होगा.
संयुक्त राष्ट्र में सुधारों का विरोध कर रहा है चीन
भारत कई सालों से संयुक्त राष्ट्र की स्थायी सदस्यता का दावा पेश कर रहा है, कई देशों ने इसका समर्थन भी किया है, हालांकि चीन नहीं चाहता कि भारत को स्थायी सदस्यों में शामिल किया जाए. चीन चाहता है कि वो एशिया में अकेला ऐसा देश रहे जो सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य हो. इसी वजह से चीन लगातार भारत की राह में खुद भी और पाकिस्तान समेत दूसरे देशों के जरिए रोड़ा अटकाता रहता है, लेकिन भारत अपने साथ-साथ दूसरों की लड़ाई भी अच्छे से लड़ता है ये बात भारत की बेटी ने सभी देशों को बता दी.
भारत G4 ग्रुप का हिस्सा
भारत पूरी तरह से यूएनएससी के भीतर सुधार के लिए जोर दे रहा है. बता दें, भारत G4 ग्रुप का हिस्सा है, जिसमें जर्मनी, जापान और ब्राजील भी शामिल हैं. इन चार देशों ने यूएनएससी के विस्तार को बढ़ावा देने और स्थायी सीटों के लिए एक-दूसरे की आकांक्षाओं का समर्थन करने के लिए एक गठबंधन बनाया है. वहीं G4 को रोकने के लिए चीन के इशारे पर पाकिस्तान ने अपना एक अलग गुट बनाया है और सुधारों का विरोध कर रहा है. अब देखना होगा कि UNSC में कब तक सुधार होता है.