भारत-म्यांमार बॉर्डर पर मोदी सरकार सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था करने जा रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज मंगलवार को कहा कि म्यांमार से लगी 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा पर हाइब्रिड सर्विलांस सिस्टम के जरिये फेंसिंग कराई जाएगी. इसे क्रियान्वित करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू कर दिया गया है. आइये जानते हैं भारत सरकार को म्यांमार बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ाने की जरूरत क्यों पड़ी.
1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमार सीमा पर फेंसिंग
पहले आपको बताते हैं, अमित शाह ने इस प्रोजेक्ट के बारे में क्या कहा. उन्होंने कहा कि बेहतर निगरानी के लिए भारत-म्यांमार सीमा पर फेंसिंग कराई जा रही है. इसके साथ ही गश्त के लिए ट्रैक भी बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमार सीमा पर फेंसिंग करने का फैसला किया है.
इन वजहों के चलते फैसला!
इस फैसले के पीछे सुरक्षा को पुख्ता करना बड़ी वजह है. लेकिन कुछ वजहें ऐसी भी हैं जो लंबे समय से भारत के लिए बड़ी समस्या बनी हुई है. मोदी सरकार के इस फैसले के पीछे की बड़ी वजह ह्यूमन ट्रैफिकिंग, नशीले पदार्थों की तस्करी, ड्रग्स का कारोबार और अवैध प्रवासन भी हो सकती है. म्यांमार से सटे सीमाई क्षेत्रों में ये मुद्दे हमेशा उठाए जाते रहे हैं.
..मेइती समूहों की हमेशा मांग रही है
इन मुद्दों से बाहर निकलने के लिए भारत सरकार लंबे समय से योजना बना रही है. अब इसे फेंसिंग करने के साथ ही भारत सरकार इन सभी समस्याओं को हमेशा के लिए दूर करने का मन बना चुकी है. बता दें कि इंफाल घाटी के मेइती समूहों की हमेशा मांग रही है कि सीमा पर फेंसिंग की जाए. वे हमेशा आरोप लगाते रहे हैं कि आदिवासी उग्रवादी अक्सर खुली सीमा के जरिये भारत में घुसपैठ करते रहे हैं. मेइती समूहों का यह भी आरोप है कि बिना बाड़ वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा का फायदा उठाकर भारत में मादक पदार्थों की तस्करी की जा रही है.
शाह ने दी पूरी योजना की जानकारी
शाह ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार सीमाओं को‘‘अभेद्य’’ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. गृह मंत्री ने कहा कि मणिपुर के मोरेह में सीमा के 10 किलोमीटर लंबे हिस्से में पहले ही बाड़ लगाई जा चुकी है. उन्होंने कहा कि हाइब्रिड निगरानी प्रणाली के माध्यम से बाड़ लगाने की दो पायलट परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं. अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में 1-1 किलोमीटर की दूरी पर बाड़ लगाई जाएगी. इसके अलावा, मणिपुर में लगभग 20 किलोमीटर में बाड़ लगाने के काम को भी मंजूरी दे दी गई है और यह काम जल्द ही शुरू होगा.
खत्म हो जाएगी सालों पुरानी व्यवस्था
यह कदम भारत-म्यांमार सीमा पर प्रचलित ‘मुक्त आवाजाही व्यवस्था’ (एफएमआर) को समाप्त कर सकता है. एफएमआर के तहत भारत-म्यांमार सीमा के करीब रहने वाले लोगों को बिना किसी दस्तावेज के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर तक जाने की अनुमति दी जाती है. 1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमा सीमा मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है, जहां एफएमआर लागू है. इसे 2018 में भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के हिस्से के रूप में लागू किया गया था.