पुतिन ने गलत विकल्प चुना है और रूस को जल्द ही एक नया राष्ट्रपति मिलेगा। जीत हमारी ही होगी। एक या दो गद्दारों के जीवन को 25,000 सैनिकों के जीवन से ऊपर रखा गया है। रूस में गृहयुद्ध अब शुरू हो गया है।”
23 जून को दिन के 11 बजे वैगनर प्रमुख येवगेनी वी प्रिगोजिन ने ये बयान दिया। इसके बाद 36 घंटे तक रूस के रोस्तोव शहर को वैगनर लड़ाकों ने अपने कब्जे में रखा। 24 जून को वैगनर लड़ाके मॉस्को से महज 200 किलोमीटर दूर थे। तभी बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको और वैगनर प्रमुख येवगेनी प्रिगोजिन के बीच बात हुई।
प्रिगोजिन ने अपने लड़ाकों को वापस कैंप में लौटने का आदेश दिया। साथ ही खुद बेलारूस पहुंचने की बात की। दरअसल, पुतिन का अपने विरोधियों को मारने का इतिहास रहा है। अब इतना सब कुछ होने के बाद भी क्या दोस्त से दुश्मन बने प्रिगोजिन को रूसी राष्ट्रपति पुतिन ऐसे ही छोड़ देंगे?
ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या प्रिगोजिन भी मारा जाएगा? या फिर वाकई में पुतिन की रूसी सत्ता पर पकड़ कमजोर हो गई है। भास्कर एक्सप्लेनर में इससे जुड़े 5 सवालों के जवाब जानेंगे…
सवाल-1 : क्या पुतिन अपने दूसरे विरोधियों की ही तरह वैगनर चीफ को भी मरवा देंगे?
जवाब : पुतिन शनिवार से पहले तक रूस पर लगभग बिना किसी चुनौती के 23 साल से शासन कर रहे थे। वह अब तक अपने खिलाफ उठाने वाली आवाजों को या तो जेल भेज देते थे या फिर मरवा देते थे। प्रिगोजिन तो इससे भी आगे बढ़ गए। उन्होंने तो तख्तापलट की बात कर दी है।
वैगनर प्रमुख प्रिगोजिन भले ही बेलारूस जाकर गिरफ्तारी से बच जाएं, लेकिन उनकी जान को अब भी खतरा है। दरअसल, इससे पहले भी आधा दर्जन अरबपतियों ने रूस-यूक्रेन जंग के खिलाफ बोला और फरवरी 2022 से अगस्त 2022 के बीच संदिग्ध परिस्थितियों में मारे गए।
इनमें 67 साल के तेल व्यवसायी रविल मगनोव, यूरी वोरोनोव, अलेक्जेंडर सुबोटिन जैसे बड़े नाम शामिल हैं। अब एक ग्राफिक्स में उन 7 बिजनेसमैन के बारे में जानिए जिन्होंने पुतिन के खिलाफ बगावत की और फिर उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई…
रास्ते का रोड़ा बनने वालों को रास्ते से हटाना रूस के लिए कोई नई बात नहीं है। इसी वजह से ऐसी आशंका जताई जा रही है कि रूसी एजेंसी जल्द ही विद्रोही प्रिगोजिन की हत्या का प्लान कर सकती है।
अमेरिका के एनालिटिकल ग्रुप इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर ने लिखा है कि पुतिन ने स्थिति को नियंत्रण में करने और खुद की पकड़ मजबूत करने के लिए प्रिगोजिन के साथ डील की है। इससे रूस में अस्थिरता का खतरा दूर होगा, क्योंकि इस विद्रोह ने रूसी सुरक्षा बलों की कमजोरी उजागर की है।
ऐसे में संभावना है कि पुतिन फिलहाल वैगनर चीफ के खिलाफ इस तरह का बड़ा कदम उठाने से पहले समय लेना चाहेंगे।
सवाल-2 : प्राइवेट आर्मी चीफ प्रिगोजिन के लिए बेलारूस कितना सुरक्षित है?
जवाब : 24 जून को वैगनर प्रमुख प्रिगोजिन अपने 25 हजार लड़ाकों के साथ मॉस्को की तरफ कूच कर रहे थे। तभी बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने उनसे फोन पर बात की। इसके बाद प्रिगोजिन ने अपने लड़ाकों को बेस कैंप में लौटने का आदेश दिया।
इस बातचीत के बाद क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बताया कि इस संकट को टालने के लिए समझौते के आधार पर वैगनर चीफ पड़ोसी देश बेलारूस जाएंगे। उनकी गिरफ्तारी नहीं होगी और उनके खिलाफ सभी आपराधिक मामले बंद कर दिए जाएंगे। हालांकि रविवार दोपहर तक प्रिगोजिन बेलारूस नहीं पहुंचे थे।
देखा जाए तो बेलारूस भी प्रिगोजिन के लिए ज्यादा सुरक्षित नहीं है। इसकी 3 वजहें हैं…
- रूस के राष्ट्रपति पुतिन और बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको के बीच गहरी दोस्ती है। फरवरी 2022 में बेलारूस ने अपने देश की सीमा से रूसी सेना को यूक्रेन की ओर जाने की इजाजत दी। जंग के दौरान बेलारूस दुनिया के दबाव के बावजूद रूस के साथ खड़ा रहा।
- बेलारूस सैन्य बेस से मिसाइलों के जरिए यूक्रेन पर हमला किया गया। 10 मार्च 2022 को यूक्रेन की राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा परिषद के सचिव ओलेक्सी डेनिलोव ने कहा था कि रूसी सेना बेलारूस सैन्य बेस से मिसाइलों के जरिए यूक्रेन पर हमला कर रही है। हमने इसकी उम्मीद नहीं की थी। बेलारूस ने हमारे पीठ में छुरा घोंपा है।
- जनवरी 2023 में बेलारूस में परमाणु हथियार तैनात करने का ऐलान कर पुतिन ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था।
यही वजह है कि इस बात की आशंका जताई जा रही है कि वैगनर चीफ पर बेलारूस में भी जानलेवा हमला हो सकता है।
सवाल-3 : क्या पुतिन की रूसी सेना पर पकड़ कमजोरी पड़ रही है?
जवाब : वैगनर ग्रुप के लड़ाके रोस्तोव शहर से 600 किलोमीटर तक आगे बढ़ गए, लेकिन रूसी सैनिकों ने कोई विरोध नहीं किया। शनिवार को देर शाम तक आदेश के बावजूद कई बैरकों से रूसी सैनिकों का मूवमेंट तक शुरू नहीं हुआ था।
मॉस्को से सिर्फ 200 किमी पहले ही प्राइवेट आर्मी वैगनर ने पीछे हटने की बात कही। 36 घंटे तक वैगनर प्रमुख प्रिगोजिन का इन इलाकों पर कब्जा रहा। इसके बावजूद न तो सैन्य स्तर पर और न ही नागरिकों के स्तर पर कोई विरोध देखने को मिला।
यूक्रेन के साथ डेढ़ साल से चल रहे युद्ध से रूसी सेना पर अप्रत्याशित प्रभाव पड़ा है। शुरुआत में पुतिन ने जल्द ही जीत का वादा किया था, लेकिन युद्ध लंबा खिंचता चला गया। इससे बड़े पैमाने सैनिक मारे गए हैं जिससे सेना के भीतर खासकर टॉप अफसरों में निराशा है।
अमेरिकी इंटेलिजेंस के मुताबिक पिछले 5 महीने में यूक्रेन में रूस के 20 हजार सैनिक मारे गए जबकि 80 हजार घायल हुए हैं।
शनिवार को देश के नाम अपने संबोधन में पुतिन ने इस स्थिति की तुलना 1917 से की जब आखिरी जार सरकार एक युद्ध में घिर गई थी। यह साफ दिखाता है कि पुतिन रूस पर अपनी पकड़ खो रहे हैं।
साथ ही प्रिगोजिन को कुचलने की धमकी देने के कुछ ही घंटों बाद उसके साथ समझौता करने से पुतिन ने इस वास्तविकता को और बल दिया है कि अब रूसी क्षेत्र में सेना का इस्तेमाल करना उनके बस की बात नहीं है।
रूस के पूर्व प्रधानमंत्री मिखाइल कास्यानोव के मुताबिक, अगर वैगनर ग्रुप के असंतोष को काबू नहीं किया गया तो व्लादिमिर पुतिन की सत्ता ढह सकती है। कास्यानोव साल 2000 से 2004 तक पुतिन के साए में पीएम रहे। बाद में वह विपक्ष में शामिल हो गए।
पूर्व पीएम का कहना है कि वैगनर ग्रुप के लीडर येवगेनी प्रिगोजिन से लड़ाई यूक्रेन में रूस के सैन्य अभियान को कमजोर करेगी।