पैदल की जाने वाली विश्व की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा (कांवड़ यात्रा) में आस्था के साथ युवाओं में जोश का संगम दिखाई दे रहा है। युवा जहां डाक कांवड़ (दौड़ कांवड़) के रूप में कई-कई किलोमीटर दौड़कर दमखम दिखा रहे हैं। वहीं 100 या 150 से अधिक वजन वाली कांवड़ लाकर भगवान शिव शंकर के प्रति आस्था के साथ अपनी सेहत दुरूस्त बनाएं रखने व शक्ति प्रदर्शन का संदेश दे रहे हैं।
इसके पीछे युवाओं का मानना है कि भक्ति के साथ-साथ सेहत भी इससे दुरुस्त रहती है। बता दें कि सावन के पहले दिन से हरिद्वार में अलग-अलग प्रदेशों से आए श्रद्धालुओं ने गंगाजल भरा और अपने-अपने गंतव्य को रवाना हो गए। धार्मिक दृष्टिकोण से आस्था से बड़ी कुछ चीज नहीं होती हैं। आस्था के कारण व्यक्ति कठिन से कठिन काम भी सरलता के साथ कर लेता है।
पिछले दो-तीन सालों से युवाओं में वजनी कांवड़ व दौड़ कांवड़ लाने का क्रेज बढ़ गया है। इसलिए कोई श्रद्धालु अपने कंधों पर 80 लीटर गंगा जल लेकर यात्रा कर रहा है, तो कोई श्रद्धालु अपने कंधों पर 100, 121, 131, 150 व 200 लीटर से भी अधिक गंगा जल लेकर यात्रा करते नजर आ रहे हैं। कांवड यात्रा के दौरान जहां युवा अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहा है, वहीं लोगों को अपनी सेहत दुरूस्त रखने का भी संदेश दे रहा है।
हरिद्वार से गंगाजल भरकर अपने गंतव्य को जा रहे शिव भक्त युवाओं से बातचीत की गई तो किसी ने अपने माता-पिता की सलामती, तो किसी ने परिवार में खुशहाली, तो कोई नौकरी के लिए कांवड़ लाने की बात कर रहा है। बहावड़ी जनपद शामली निवासी शुभम व कमल 151 लीटर गंगाजल लेकर पहुंचे।
उनका कहना है कि पुरामहादेव पर भगवान शिवशंकर का जलाभिषेक कर वापस घर लौटेगें। कहा कि जब भी भगवान शिव शंकर की जयकार करते है तो सारी थकान दूर हो जाती। परिवार की खुशहाली के लिए कांवड़ लाए है। उधर दोघट कस्बा निवासी मोहित हरिद्वार से 141 लीटर, कस्बा निवासी विकुल 131 गंगाजल लेकर आ रहा है।
बोल बम, बोल बम के जयकारे लगाते हुए मोहित व विकुल आगे बढ़ते जा रहे हैं। पैदल चल रहे मोहित व विकुल के पैरों में छाले भी उनके कदमाें को रोक नहीं पा रहे हैं। इसके अलावा नरेला दिल्ली के शिव भक्त कावड़िया दीपक कुमार का कहना है वह दूसरी बार कांवड़ ला रहे। उन्होंने भी इस बार 101 लीटर गंगा जल की कलश कांवड़ ला रहे है।