संविधान दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट परिसर में आयोजित कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ने देश के नागरिकों को आश्वस्त किया कि सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे उनके लिए हमेशा खुले है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की मौजदूगी में चीफ जस्टिस ने अपने संबोधन के आखिर में कहा कि मैं संविधान दिवस के मौके पर भारत के नागरिको से ये कहना चाहता हूं कि सर्वोच्च न्यायालय के दरवाजे आपके लिए हमेशा खुले रहे हैं और आगे भी खुले रहेंगे. आपको कोर्ट आने से डरने की कभी जरूरत ही नहीं है.न्यायपालिका के प्रति आपकी आस्था हमें प्रेरित करती है .आपका विश्वास हमारा श्रद्धा स्थान है
‘चीफ जस्टिस को महज चिट्ठी लिखकर भी मांगा जा सकता है इंसाफ’
चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारा सुप्रीम कोर्ट शायद दुनिया का इकलौता ऐसा कोर्ट है जहां पर एक व्यक्ति सिर्फ चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर भी इंसाफ की उम्मीद लगा सकता है. महज एक पोस्ट कार्ड, एक मेल ही काफी होता है कि सुप्रीम कोर्ट उस मामले का संज्ञान ले ले और उसेअर्जेट मानते हुए केस को उसी दिन सुनवाई के लिए लिस्ट भी कर दे.
फैसलों का हिन्दी और स्थानीय भाषाओं में अनुवाद
चीफ जस्टिस ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के सभी फैसलों का हिंदी और देश की दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है. इस मौके पर e-SCR portal को हिंदी में भी लांच किया गया.चीफ जस्टिस ने बताया सुप्रीम कोर्ट के 21 हज़ार 388 फैसलों का हिंदी में अनुवाद कर ,उन्हें चेक कर इस पोर्टल पर अपलोड किया है. बाकी फैसलों के हिंदी अनुवाद को भी जल्द अपलोड कर दिया जाएगा. 9276 फैसलों का पंजाबी, तमिल, गुजरातीमराठी,तेलगू,ओड़िया,मलयालम, बंगाली,कन्नड़ , उर्दू, नेपाली असमिया जैसी क्षेत्रीय भाषाओ में अनुवाद कर उसे e-SCR पोर्टल पर अपलोड किया गया है.
अब कैदियों की होगी जल्द रिहाई
इस मौके पर चीफ जस्टिस ने FASTER 2.0 नाम के एक नए पोर्टल के लांच घोषणा की. इस पोर्टल के जरिये किसी भी कैदी की रिहाई का आदेश तुरंत जेल अधिकारियों, ट्रायल कोर्ट, हाई कोर्ट तक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से पहुंचेगा ताकि उस व्यक्ति की जल्द से जल्द रिहाई सुनिश्चित की जा सके.
‘आम जनता का कोर्ट बना-सुप्रीम कोर्ट’
चीफ जस्टिस ने कहा कि पिछले 7 दशकों में सुप्रीम कोर्ट ने देश की आम जनता के कोर्ट के रूप में खुद को स्थापित किया है. लोग इस उम्मीद में कोर्ट आते हैं कि उन्हें इंसाफ मिलेगा.लोग अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए, गैर कानूनी तरीके से हुई गिरफ्तारी से बचने बन्धुआ मजदूर, आदिवासियो के अधिकारों का हनन रोकने के लिए, कार्यस्थलों पर यौन शोषण को रोकने के लिए,साफ पानी, साफ हवा का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट आते है. यह सारे मामले लोगों की सुप्रीम कोर्ट से रखी जाने वाली उम्मीदों को जताते हैं.
कोर्ट की सुनवाई का सीधा प्रसारण
चीफ जस्टिस ने कहा कि लोगों को इंसाफ दिलाना सुनिश्चित करने के साथ साथ सुप्रीम कोर्ट की हमेशा ही कोशिश रही है कि उसका प्रशासनिक ढांचा देश की जनता को केंद्र में रखकर काम करें., ताकि देश के आजकल कोर्ट की सुनवाई का सीधा प्रसारण तक हो रहा है .ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि देश के लोग इस बात को समझ सकें कि आखिर अदालतों में काम किस तरीके से होता है . पिछली बार राष्ट्रपति ने जेल में कैदियों की भारी तादाद पर चिंता जाहिर की थी.हम कानूनी प्रक्रिया को इस तरीके से आसान बना रहे हैं ताकि लोग बिना वजह जेल में रहने के लिए मजबूर ना हो.